Aastha News: अब करीब 1.5 महीनों तक लग जाएगा शादियों पर विराम, 20 फरवरी के बाद गुरु होंगे अस्त

किसी भी मांगलिक कार्यो के लिए देव गुरु बृहस्पति का उदय होना जरूरी।

 
IMAGE: NCR
24 फरवरी को बृहस्पति असप्त हो रहे है।

 

उत्तर प्रदेश, Digital Desk: मकर संक्रांति के बाद शुरू होने वाले मांगलिक कार्यों (Auspicious Works) पर अब जल्द ही कुछ वक्त के लिए रोक लगने वाली है। अब फरवरी महीने में शादी (Marriage) के लिए सिर्फ तीन शुभ मुहूर्त बचे थे,  जो 18, 19 और 20 फरवरी तक थे, लेकिन आज वो समाप्त हो रहे है। इसके बाद करीब 1.5 महीने के लिए विवाह और गृहप्रवेश, मुंडन, नामकरण सहित अन्य मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। क्योंकि 24 फरवरी से गुरु अस्त होने वाले है। देवगुरु बृहस्पति (Devguru Brihaspati) को शादी समेत अन्य किसी भी मांगलिक कार्य को करना माना जाता है। इन कार्यों को संपन्न कराने के लिए बृहस्पति का उदय होना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके बाद अब 15 अप्रैल के बाद ही शुभ कार्यों की दोबारा शुरुआत होगी।

24 मार्च तक अस्त रहेंगे बृहस्पति:

देवगुरु बृहस्पति 24 फरवरी से 24 मार्च के बीच अस्त रहेंगे। इस एक महीने में कोई शुभ कार्य नहीं होगा, होलाष्टक (HOLI) लग जाएगी और उसके बाद सूर्य के मीन मलमास शुरू हो जाएंगे। इस तरह 15 अप्रैल तक सभी शुभ कार्यों पर पूर्ण रूप से रोक रहेगी। सिर्फ 4 मार्च को फुलेरा दूज होने की वजह से आप उस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकेंगे। फुलेरा दूज को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन आप कोई भी मांगलिक कार्य बिना किसी ज्योतिष से परामर्श लिए भी कर सकते हैं।

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कैसे अस्त होता है कोई ग्रह:

बता दें, कि 13 फरवरी 2022 की सुबह सूर्य राशि बदलकर मकर राशि से कुंभ राशि में आ चुकी है। गुरु पहले से कुंभ में मौजूद हैं। ज्योतिषों के मुताबिक जब सूर्य किसी ग्रह के करीब आता है, तो उस ग्रह की शक्तियां कमजोर होने लगती हैं, और इसी को ग्रह का अस्त होना कहा जाता है। इस तरह सूर्य के देवगुरु बृहस्पति के करीब आने से गुरु बृहस्पति भी अस्त हो जाएंगे। गुरु को शास्त्रों में शुभ कार्यों के प्रतीक माना गया है, इसलिए उनके अस्त होते ही शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है।

धनु और मीन के स्वामी है गुरु:

देवगुरु बृहस्पति को धनु व मीन राशि का स्वामी ग्रह माना जाता है। ऐसे में जब देवगुरु बृहस्पति अस्त होंगे, तो इन राशियों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इन राशियों को प्रतिकूल प्रभावों से बचने के लिए गुरु से संबन्धित उपाय करने चाहिए। इस बीच गुरुवार का व्रत रखें, चने की दाल, गुड़-आटे की लोई में डाल दे और थोड़ी सी हल्दी डालकर गाय को खिलाएं।  गाय की भी सेवा करें।