Lathmar Holi 2022: कब है "Lathmar Holi", फुलेरा दूज से लेकर रंगभरी एकादशी तक, सभी तिथि की जानकारी यहां देखे
होली (Holi 2022) के पावन त्यौहार का इंतजार सब लोग बड़े बेसब्री से करते हैं। ऐसे में इस बार होली 18 मार्च को है।

उत्तर प्रदेश, Digital Desk: होली (Holi 2022) के त्योहार का हिंदू धर्म में एक खास महत्व रहा है। रंगों के भरे इस त्योहार का एक धार्मिक महत्व है। होली को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है, इसीलिए लोग इसे बड़े धूम-धाम से मनाते है। आपको बता दें कि, फाल्गुन माह (Phalguna Month) 17 फरवरी से ही शुरू हो गया है। फाल्गुन में पड़ने वाला होली (Holi Date) का पावन त्योहार देशभर में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। होली को फाग उत्सव के नाम से भी जाना जाता हैं। फाल्गुन महीने (Phalgun Purnima) के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलिकाष्टक (Holikashtak) लग रही है। जबकि कहते हैं कि फुलैरा दूज से होली के रंगों की खूशबू हर तरफ बिखरने लगती है। मान्यता है कि, श्री कृष्ण की नगरी मथुरा और वृंदावन में राधारानी ठाकुर जी के साथ फूलों से होली खेलती हैं। फुलैरा दौज के दिन भक्तजन दूर-दूर से राधारानी मंदिर का नजारा देखने आते हैं। ऐसे में जानते हैं कि, लट्ठमार होली (Lathmar Holi) खेली जाएगी।
जानिए होली की जरूरी तिथियां:
फुलैरा दूज – 04 मार्च 2022, दिन शुक्रवार।
नंदगांव में फाग आमंत्रण महोत्सव – 10 मार्च 2022, दिन गुरुवार।
बरसाना में लड्डू होली खेलने वाली तिथि – 10 मार्च 2022, दिन गुरुवार।
होलाष्टक – 10 मार्च 2022, दिन गुरुवार।
बरसाना में लट्ठमार होली – 11 मार्च 2022, दिन शुक्रवार।
नंदगांव में लट्ठमार होली – 12 मार्च 2022, दिन शनिवार।
रंगभरी एकादशी – 14 मार्च 2022, दिन सोमवार।
होलिका दहन – 17 मार्च 2022, दिन गुरुवार।
होली उत्सव – 18 मार्च 2022, दिन शुक्रवार।
होलिका दहन:
हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि 17 मार्च 2022 को दिन गुरुवार को दोपहर के वक्त 01:29 बजे से लगने वाली है, जो अगले दिन यानी कि, 18 मार्च 2022 को दिन शुक्रवार को दोपहर 12:47 बजे तक रहने वाली है। ऐसे में बता दें कि, होलिका दहन (Holika Dahan) फाल्गुन पूर्णिमा को ही होता है। होलिका दहन 17 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होगी। इस दिन को छोटी (Holi Kb Hai) होली के नाम से भी जाना जाता है।
होली का महत्व:
जब होलाष्टक लग जाती है, तो फिर उसके बाद किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य नहीं होता है। बता दें कि, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक प्रारंभ हो जाता है, होली (Holi) के त्योहार को लेकर धार्मिक मान्यताओं में महत्व बताया गया है कि, होली के 8 दिन पूर्व से भक्त प्रह्लाद को कई तरह की यातनाएं देना शुरू हुई , जिस कारण से ही होलाष्टक लगने के बाद से किसी भी प्रकार का शुभ काम नहीं किया जाता है।