Hanuman Chalisa Mystery: क्या है हनुमान चालीसा का इतिहास, कैसे की थी बंदरो ने की थी तुलसीदास जी मदद

तुलसीदास को हनुमान चालीसा लिखने की प्रेरणा मुगल सम्राट अकबर की कैद से मिली थी।

 
क्या आप जानते हैं अकबर के यहां लिखी गई थी हनुमान चालीसा, ये है इसे लिखे जाने की कहानी Hanuman chalisa
तुलसीदास की रिहाई भी फिर अजीब तरीके से हुई थी।


उत्तर प्रदेश, Digital Desk: आप सबने इन दिनों देश में चल रहे वाद के चलते, लाउडस्पीकर अज़ान और हनुमान चालीसा का विषय बार-बार सुन रहे होंगे। महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में इस पर जगह-जगह लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा बजाने की कवायद चल रही है। जिसके चलते इंटरनेट पर भी हनुमान चालीसा की जबरदस्त मांग है। लेकिन आज हम आपको हनुमान चालीसा के विषय में कुछ खास बात और एक महत्वपूर्ण कहानी बताने जा रहे हैं। जिसको सुनकर आपको जरूर अच्छा लगेगा, इस चालीसा की गाथा भी खासी रोचक और ऐतिहासिक है। यह अवधी में लिखी गई, बाद में कई भारतीय भाषाओं में इसका अनुवाद भी हुआ था।

दरअसल ये हनुमान जी (Hanuman Chalisa) को लेकर भक्तिभाव से पाठ करने वाली पुस्तिका है। चालीसा का मतलब 40 चौपाइयों वाली। लिहाजा हनुमान चालीसा भी इस साहित्यिक अनुशासन से बंधी है, जिसमें इतनी ही चौपाई हैं साथ ही 40 छंद भी हैं। माना जाता है कि लाखों सनातनी रोज विश्वभर में इसका पाठ करते हैं। यह हनुमानजी की क्षमता, राम के प्रति उनका भक्तिभाव और उनके कामों का बखान करता हैं। ये भी मानते हैं कि हनुमान चालीसा के पाठ से जीवन की हर समस्या और संकट दूर हो जाते है।

क्या है हनुमान चालीसा की गाथा, कैसे तुलसीदास ने जेल में इसे लिखा

हनुमान चालीसा को तुलसीदास ने लिखा था, उन्होंने  रामचरितमानस भी लिखा था। उसके अलावा हनुमान चालीसा की रचना की। हालांकि यह रचना किन स्थितियों में कैसे हुई, इसकी कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। पुराणों के अनुसार हनुमान जी खुद को भगवान राम का सबसे बड़ा भक्त कहते थे, समय-समय पर उन्होंने इस बात को साबित भी किया था। वैसे हमारे पुराणों और शैव परंपरा में कहा जाता है कि हनुमानजी खुद भगवान शिव का अवतार थे।एक प्रचलित मान्यता के अनुसार तुलसीदास ने रामचरित मानस के अलावा अलग से हनुमान चालीसा लिखी, इसे उन्होंने तब लिखा जबकि वह अकबर की जेल में थे।

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अकबर और तुलसीदास:

ऐसा माना जाता है कि, तुलसीदास को हनुमान चालीसा लिखने की प्रेरणा मुगल सम्राट अकबर की कैद से मिली थी। किंवदंती है कि एक बार मुगल सम्राट अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास जी को शाही दरबार में बुलाया था।

उसी दौरान तुलसीदास की मुलाकात अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना और टोडर मल से हुई, उन्होंने काफी देर तक उनसे बातचीत की। वह अकबर की तारीफ में कुछ ग्रंथ लिखवाना चाहते थे। जिसको तुलसीदास  जी ने मना कर दिया था, तब अकबर ने उन्हें कैद कर लिया था।

एक बार बादशाह अकबर ने तुलसीदास जी को दरबार में बुलाया था। उनसे कहा कि मुझे भगवान श्रीराम से मिलवाओ। तब तुलसीदास जी ने कहा कि भगवान श्री राम सिर्फ भक्तों को ही दर्शन देते हैं। यह सुनते ही अकबर ने तुलसीदास जी को कारागार डलवा दिया था।

 कारावास में ही तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में हनुमान चालीसा लिखी थी। उसी दौरान फतेहपुर सीकरी के कारागार के आसपास काफी सारे बंदर आ गए और उन्होंने बड़ा नुकसान किया। तब मंत्रियों की सलाह मानकर बादशाह अकबर ने तुलसीदास जी को कारागार से मुक्त कर दिया था।