Chaitra Sankranti 2023: चैत्र संक्रांति, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Chaitra Sankranti चैत्र संक्रांति के दिन सूर्य देव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करते हैं
 
Chaitra Sankranti 2023

Surya Meen Sankranti 2023: चैत्र संक्रांति अनेक पापों की समाप्ति एवं उनके नाश करने वाली होती है. संक्रांति का प्रभाव देश एवं जन जीवन सभी पर पड़ता है. 


Astro, Digital Desk: सूर्य के मीन राशि प्रवेश का समय चैत्र संक्रांति पर्व के रुप में मनाया जाता है. चैत्र संक्रांति को सूर्य संक्रमण काल के रुप अत्यधिक पूजनीय रहता है. इस दिन पर दान एवं पूजा इत्यादि का विशेष महत्व रहा है. धर्म शास्त्रों के अनुसार संक्रांति के समय सूर्य उपासना करना एवं पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. 

यह संक्रांति शिक्षकों, ब्राह्मणों, लेखकों और पत्रकारों के लिए शुभ रहने वाली है. भोजन अनाज जैसी दैनिक उपभोग की वस्तुओं की कीमत में वृद्धि हो सकती है. राजनीतिक दलों में आपसी खींचतान बढ़ सकती है. राजनीतिक उठापटक भी रह सकती है. कुछ स्थानों पर फसलों को नुकसान हो सकता है. मौसम में बदलाव कि स्थिति भी देखने को मिल सकती है. 

चैत्र संक्रांति पूजा समय 

चैत्र संक्रांति को मीन संक्रांति भी कहा जाता है. मीन संक्रांति पुण्य काल मुहूर्तमीन संक्रान्ति का समय बुधवार के दिन 15 मार्च, 2023 को होगा. मीन संक्रान्ति पुण्य काल 06:47 से 01:10 तक रहेगा. मीन संक्रान्ति महा पुण्य काल 06:47 से 08:46 तक का समय अनुकूल होगा. मीन संक्रान्ति का क्षण 06:47 तक का होगा. पुण्य काल समय पर स्नान, दान, जप और ध्यान आदि करना शुभ होता है.


चैत्र संक्रांति गंगा स्नान महत्व 

चैत्र संक्रांति के दिन को अत्यंत ही पुण्य प्राप्ति का समय माना माना गया है. इस समय पर किया गया दान-पुण्य जीवन को अत्यंत शुभ प्रभाव देने वाला होता है. इस दिन शुद्ध घी, तिल, सरसों का तेल और कंबल इत्यादि का दान करने से जीवन में शुभ कर्मों का आगमन होता है. जीवन में मोक्ष तत्व की प्राप्ति का मार्ग सुगम होता है. चैत्र संक्रांति के अवसर पर पवित्र नदियों जैसे गंगा स्नान, यमुना स्नान, अन्य नदियों, सरोवरों और तटों पर स्नान दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है. 

चैत्र संक्रांति पर्व पर तीर्थराज प्रयाग और गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गई है. यदि किसी कारण या महामारी के कारण आप गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान अवश्य करना चाहिए. संक्रांति के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.

(Disclaimer: प्रकाशित जानकारी सामान्य मान्यताओं और लेखक की निजी जानकारियों व अनुभवों पर आधारित है, Mirzapur Official News Channel इसकी पुष्टि नहीं करता है)