30 दिनों तक मत करिएगा कोई भी शुभ कार्य, अच्छे काम करने का भी मिलेगा बुरा परिणाम, जाने कब से लग रहा है "खरवास"
जब ग्रह दशा शुभ काम करने के लिए अनुकूल न हो, तो ऐसे समय में आपको शुभ कार्य का भी अशुभ फल मिलता है। खरमास भी एक ऐसा ही समय है।

इतने तारीख से लगेगा खरमास, 1 महीने तक कुछ मत करिएगा शुभ काम।
खरमास:
जब सूर्य एक के बाद एक राशि बदलते रहते हैं, तो गुरु के स्वामित्व वाली राशियां धनु और मीन में पहुँचते है, तो यह गुरु के तेज को कम कर देते हैं। ऐसे में गुरु विवाह के कारक ग्रह है, इसलिए गुरु का तेज कम होने के बाद शादियों के लिए यह शुभ समय नहीं माना जाता है। सूर्य हर राशि में 1 महीने तक रहते हैं, अगर एक महीने तक शुभ काम नहीं होते इसी समय को खरमास कहते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास के दौरान सूर्य की चाल धीमी में हो जाती है, इसलिए इस दौरान किए गए कोई भी काम शुभ फल नहीं देते। लिहाजा इस समय शादी विवाह के अलावा कोई भी शुभ काम जैसे घर खरीदना, गृह प्रवेश, गाड़ी, खरीदना, नया काम शुरू करना वर्जित रहता है। इसके अलावा घर निर्माण, यज्ञ आदि किसी प्रकार का कार्य नहीं किया जाता। 16 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे, जिसके बाद खरमास शुरू हो जाएगा।
पौराणिक कथा:
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर लगातार ब्रह्मांड का चक्कर लगाते हैं। उन्हें कही भी रुकना नहीं होता है, मगर उनके रथ में जुड़े हुए घोड़े विश्राम न मिलने से भूख प्यास से थक जाते हैं। उनकी यह दयनीय दशा को देखते हुए एक बार सूर्य देव का मन द्रवित हो गया। उसके बाद वे घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए, लेकिन तभी आभास हुआ कि रथ रुकने पर अनर्थ हो सकता है। फिर भी सूर्य देव घोड़ों को लेकर तालाब पर पहुंचे तो देखा वहां दो खर यानी गधे मौजूद थे। सूर्य देव ने घोड़ो को वहां पानी और विश्राम के लिए छोड़ दिया और गधों को रख लिया , इस कारण की गति धीमी हो गई। किसी तरह खर के सहारे सूर्य देव ने एक महीना चक्कर लगाया और इसके बाद घोड़ो की भी थकान दूर हो चुकी थी और सूर्य देव के रथ ने फिर से रफ्तार पकड़ ली।