Falgun Amavasya 2023 : जाने कब मनाई जाएगी फाल्गुन अमावस्या, स्नान दान के लिए ये समय होगा बेहद खास

Astro,Digital Desk: फाल्गुन माह की अमावस्या तिथि को फाल्गुन अमावस्या (Falgun Amavasya 2023) के रुप में मनाया जाता है. अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ होते हैं अत: इस दिन पितरों की पूजा एवं तर्पण इत्यादि कार्यों को करने से पितर शांत होते हैं तथा व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्ति प्राप्त होती है.
फाल्गुन माह की अमावस्या के समय पर देश भर में पवित्र नदियों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. इस अवसर पर लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं तथा दान पुण्य करके शुभ फलों को पाते हैं. इस समय पर धार्मिक स्थलों पर जाकर पूजन करने से पाप कर्म शांत होते हैं तथा शुभ कर्मों में वृद्धि होती है.
अमावस्या के दिन हरिद्वार, प्रयागराज, काशी इत्यादि स्थानों पर बड़े बड़े मेलों का आयोजन भी किया जाता है. जिसमें भक्ति का जन सैलाब देखा जा सकता है. लोग पवित्र नदियों में स्नान करके अपने पितरों की शांति के लिए तर्पण एवं पूजन कार्य करते हैं. इस दिन व्रत उपवास एवं अन्य प्रकार के धार्मिक कृत्यों द्वारा अमावस्या संपन्न होती है.
फाल्गुन अमावस्या पूजन मुहूर्त समय
फाल्गुन माह की अमावस्या तिथि का आरंभ 19 फरवरी 2023 को रविवार के दिन 16:18 मिनट से होगा और 20 फरवरी सोमवार के दिन दोपहर, 12: 35 मिनट पर इसकी समाप्ति होगी. 20 फरवरी को अमावस्या उदयातिथि होने के कारण इस दिन मनाई जाएगी.
फाल्गुन अमावस्या के पर कुछ विशेष योगों का निर्माण भी होगा. इस दिन सोमवार का दिन होने के कारण यह सोमवती अमावस्या भी होगी, इस दिन परिघ नामक योग व्याप्त होगा तथा उसके पश्चात शिव योग का अरंभ होगा.
फाल्गुन अमावस्या पर करें ये कार्य मिलेगा
फाल्गुन अमावस्या (Falgun Amavasya) के दिन प्रात:काल समय उठ कर दैनिक क्रियाओं से निवृत होकर, स्नान पश्चात सूर्य उपासना करनी चाहिए. सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए तथा पितरों के नाम से श्राद्ध कार्य करने चाहिए.
फाल्गुन अमावस्या के दिन प्रात:काल समय सूर्योदय पर स्नान करते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान करना चाहिए. पवित्र नदियों एवं संगम स्थलों पर जाकर स्नान कार्य बहुत ही शुभफल प्रदान करने वाला होता है.
अमावस्या के दिन अपने पितरों को याद करते हुए उनके प्रति भक्ति एवं शृद्धा दिखाते हुए तर्पण कार्यों को अवश्य करना चाहिए. यदि जन्म कुंडली में पितृ दोष की स्थिति बनी हुई है तो ऎसी स्थिति में फाल्गुन अमावस्या बेहद महत्वपूर्ण बन जाती है.
इस समय पर उस जातक को अवश्य अपने पितरों का पूजन करना चाहिए तथा अपने पूर्वजों के लिए तर्पण कार्य करते हुए पितृ दोष की मुक्ति का उपाय करना चाहिए. ऎसा करने से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त होती है तथा पितरों का आशीष भी प्राप्त होता है.
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