Badiyanath Jayanthi - वैद्यनाथ जयंती और महाशिवरात्रि कैसे जुड़े हैं एक साथ और क्या है इनका महत्व

Astro, Digital Desk: वैद्यनाथ धाम पर महाशिवरात्रि के पावन पर्व के दौरान विशेष धार्मिक कार्यों एवं मेलों का आयोजन किया जाता है. इस उपलक्ष्य पर बाबा की जयंती मनाई जाती है. देवघर जिसे देवताओं का घर भी कहा जाता है यहां भगवान शिव वैद्य के रुप में पूजे जाते हैं. इस स्थान को मनोकामनाओं के पूरा होने का स्थान भी कहा जाता है. वैद्यनाथ जयंती पर भक्त भगवान का अभिषेक करके पाते हैं भगवान शिव का आशीर्वाद.
वैद्यनाथ जयंती से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
वैद्यनाथ जयंती महाशिवरात्रि के समय पर बहुत धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन पर भगवान शिव का पूजन होता है तथा भगवान के पंचशूल मंदिरों से उतारे जाते हैं और इन पंचशूलों की पूजा इस दिन पर विशेष रुप से की जाती है. पूजा के पश्चात इन पंचशूलों को पुन: मंदिर में उसी स्थान पर रख दिया जाता है जहां ये स्थापित होते हैं.
वैद्य नाथ जयंती पर होता गठबंधन (ग्रंथिबंधन)
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग में भगवान के मंदिर के शिखर को पास में स्थित देवी पार्वती के मंदिर शिखर से बांधा जाता है. इसे गढबंधन एवं रक्षा सूत्र के रुप में जाना जाता है. यह परंपरा प्राचीन कल से चली आ रही है. महाशिवरात्रि के साथ साथ सावन शिवरात्रि के अवसर पर भी इस परंपरा का निर्वाह होता है. वैद्यनाथ जयंती के अवसर पर हजारों लोग मंदिर के दर्शन करने आते हैं यहां लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इस गढबंधन को करते हैं. जिनकी मन्नतें पूर्ण हो जाती हैं वे लोग यहां विशेष पूजा करते हैं और बाबा वैद्यनाथ के मंदिर के साथ माता पार्वती के शिखर को धागे से जोड़ते हैं यह विशेष धार्मिक संस्कार भक्तों के लिए शक्ति का कार्य करता है.
वैद्यनाथ जयंती के शुभ अवसर पर बाबा वैद्यनाथ और माता पार्वती के मंदिरों में मौजूद पुराने गठबंधन को हटा कर इस शुभ दिन पर नए गठबंधन को किया जाता है. इन उतारे गए गठबंधन को लेने के लिए शृद्धालु भक्ति के साथ आगे बढ़ते हैं तथा इसे पाकर स्वयं को भगवान के आशीर्वाद से अभिभूत पाते हैं
(Disclaimer: प्रकाशित जानकारी सामान्य मान्यताओं और लेखक की निजी जानकारियों व अनुभवों पर आधारित है, Mirzapur Official News Channel इसकी पुष्टि नहीं करता है)