Janki Jayanti 2023 : इस वर्ष 14 फरवरी को मनाया जाएगा जानकी जयंती का पर्व जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Astro, Digital Desk: जानकी जयंती (Janki Jayanti 2023) फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन संपूर्ण भारत वर्ष में भक्ति भाव एवं उल्लास के साथ मनाई जाती है. माता सीता (Sita) का एक नाम जानकी भी रहा है, सीता जी के जन्मोत्सव के संदर्भ में कुछ मत प्राप्त होते हैं जिसके अनुसार फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि एवं वैशाख माह की नवमी तिथि को उनके जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता रहा है. इस दिन को सीता जयंती, सीता अष्टमी, जानकी जयंती इत्यादि नामों से जाना जाता रहा है. धर्म ग्रंथों में निर्यणसिंधु के अनुसार जानकी जयंती के पर्व का उल्लेख फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के रुप में भी प्राप्त होता है इस कारण इस दिन को सीता अष्टमी के रुप में मनाया जाता है.
जानकी जयंती पूजन मुहूर्त समय
जानकी जयन्ती (Janki Jayanti) का पर्व 14 फरवरी 2023 को मंगलवार के दिन मनाया जाएगा. अष्टमी तिथि प्रारम्भ का आरंभ 13 फरवरी, 2023 को सुबह 09:45 पर होगा तथा अष्टमी तिथि की समाप्ति 14 फरवरी 2023 को 09:04 पर होगी
उपनिशषदों एवं पौराणिका आख्यानों में सीता जी का वर्णन
माता सीता को श्री लक्ष्मी का स्वरुप माना गया है. देवी सीता संपूर्ण लोकों की स्वामिनी हैं तथा जगत के कल्याण हेतु वह हर कल्प में अवतरित होकर सृष्टि के संचालन को गति प्रदान करती हैं. उपनिषदों में सीता उपनिषद में देवी सीता को शक्ति रुप में दर्शाया गया है. देवी सीता को प्रकृति की शक्ति एवं योगमाया का स्थान भी प्राप्त है. उनकी महिमा का उल्लेख रामायण ग्रंथ में विस्तार स्वरुप प्राप्त होता है तथा उपनिषदों में भी माता सीता के स्वरुप को बहुत ही सुंदर रुप से वर्णित किया गया है.
सीतोपनिषद अनुसार - 'मूल प्रकृति रूपत्वात् सा सीता प्रकृति: स्मृता। प्रणव प्रकृति रूपात्वात् सा सीता प्रकृति रुच्यते॥ सीता इति त्रिवर्णात्मां साक्षान्मायामया भवेत्। विष्णु: प्रपञ्च बीजं च माया, ई'कार उच्यते॥' अर्थात देवी सीता प्रकृति स्वरुपा एवं आद्यशक्ति का रुप हैं जो श्री विष्णु जी के साथ शाश्वत स्वरुपा विराजमान हैं.
जानकी जयंती मंत्र एवं महत्व
जानकी जयंती (Janaki Jayanti 2023) के शुभ अवसर पर माता सीता की पूजा की जाती है तथा साथ ही श्री राम जी का पूजन भी संपन्न होता है. सीता जयंती पर देवी सीता जी के मंत्रों का जाप करना उत्तम फलदायक माना गया है. सनातन धर्म संस्कृति में सीता जी को अत्यंत ही विशेष स्थान प्राप्त है. इन्हें बहुत ही महत्वपूर्ण देवी स्वरुप माना गया है. देवी सीता का नाम जाप करने से सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं तथा जीवन में समृद्धि एवं उन्नति सदैव बनी रहती है. देश एवं देश के बाहर भी सीता जयंती को विशेष रुप से मनाया जाता है, मान्यता है कि इस दिन देवी सीता के मंत्रोच्चारण के साथ पूजा उपासना करने से शक्ति एवं सिद्धि की प्राप्ति होती है.
जानकी जयंती मंत्र
उद्भव स्थिति संहारकारिणीं हारिणीम् ।
सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं रामबल्लभाम् ।।
श्रीराम सांनिध्यवशां-ज्जगदानन्ददायिनी ।
उत्पत्ति स्थिति संहारकारिणीं सर्वदेहिनम् ।।
गायत्री मंत्र- ॐ जनकनंदिन्यै विद्महे, भुमिजायै धीमहि। तन्नो सीता: प्रचोदयात् ।।
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