Krishna Janmashtami : क्या है विन्ध्यवासियों का भगवान कृष्ण से रिश्ता?

मिर्ज़ापुर, डिजिटल डेस्क : वैसे तो भगवान कृष्ण जगतगुरु हैं उन्होंने गीता का ज्ञान इस जगत के कल्याणार्थ दिया पर विंध्यवासियों का भगवान कृष्ण से संबंध और भी विशेष है।
किसी करीबी का जन्मदिन हो तो वह दिन हमारे लिए किसी उत्सव से कम नहीं होता बात अगर भगवान कृष्ण की हो तो वो बालक से पालक के रूप में लोगों को प्रिय हैं, ऐसे में ये दिन और भी बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
जगविदित है कि कारागार में जब भगवान कृष्ण का माता देवकी के गर्भ से जन्म हुआ तो देवी अनुकंपा से सभी पहरेदार घोर निद्रा में समा गए। वासुदेव की बेड़ियां स्वयं ही खुल गई वासुदेव अपने पुत्र की रक्षा और जगत कल्याण के लिए भगवान कृष्ण को नंद के यहां ले गए और नंद की नवजात बेटी से कृष्ण को बदल दिया वह वापस अपने कारागार में आ गए पहरेदार के जब बच्चे की किलकारी सुनाई पड़ी तो जाकर कंस को देवकी के आठवें बच्चे के जन्म होने की खबर सुनाइ जिसे मारने के लिए स्वयं कंस कारागार में आता है।
देवकी की गोद में खेल रही योग माया को छीन कर वध करने के लिए कंस ने कारागार के दीवार की ओर फेंका पर योगमाया दीवार से ना टकराकर आकाश की ओर चली गई और जाते-जाते अट्टहास कर कंस को कहा कि तेरा वध करने वाला जगत में आ चुका वही योगमाया विंध्याचल पर्वत पर निवास करती हैं।
दुर्गा सप्तशती में भी कहा गया है
"नन्दगोप गृहे जाता यशोदा-गर्भ-सम्भवा।
ततस्तौ नाशयिष्यामि, विन्ध्याचल निवासिनी।।"
यानी गोप नंद के घर यशोदा के गर्व से जन्म लेने वाली विंध्याचल में निवास करेंगी इसीलिए मां विंध्यवासिनी को नंद की आत्मजा अर्थात नंदजा के स्वरूप में भी पूजा जाता है।
कथा अनुसार माँ विंध्यवासिनी भगवान कृष्ण की बहन भी मानी जाती हैं इसलिए देवी विंध्यवासिनी को माता के रूप में पूजने वाले भगवान कृष्ण को मातुल यानी मामा के रूप में भी जानते हैं।
अब आप भी जान चुके हैं कि विंध्यवासियों का रिश्ता भगवान श्री कृष्ण से आज का नहीं बल्कि द्वापर युग से है।