Margashirsha Purnima 2021: क्या है मार्गशीर्ष पूर्णिमा?, क्या है इसका खास महत्व?, कैसे मिलता है भगवान विष्णु की पूजा से लाभ?
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा एवं धर्म किया जाता है। उसके लिए यह सर्वश्रेष्ठ महीना माना जाता है।

जानिए मार्गशीर्ष महीने की पूजन विधि।
उत्तर प्रदेश, Digital Desk: हिंदू धर्म अनुसार मार्गशीर्ष महिना पूर्णिमा का विशेष महत्व है। ऐसे में गंगा स्नान विष्णु जी की पूजा एवं दान धर्म के लिए सर्वश्रेष्ठ महीना माना जाता है। श्रीमद भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं उल्लेख किया है कि, "मैं ही मार्गशीर्ष का पवित्र माह हूं"। इसीलिए इस माह की पूर्णिमा को मार्कशीट पूर्णिमा कहते हैं। पुराणों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान एवं दान धर्म आदि धार्मिक कर्मकांड का विशेष महत्व माना जाता है। इसीलिए इस दिन हरिद्वार, प्रयागराज, वाराणसी और मथुरा में श्रद्धालु पवित्र गंगा एवं यमुना तट पर स्नान दान करते हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने से सुख एवं समृद्धि प्राप्त होती है तथा मृत्युलोक के सुख भोग कर जातक को मोक्ष प्राप्त होती है।
पूजन विधि:
• पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके एवं संभव हो तो गंगा अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान करिए।
• अगर यह संभव न हो तो नहाने के पानी में ही गंगा जल मिलाकर स्नान कर लीजिए और स्नान के पश्चात पीले रंग का वस्त्र पहन लीजिए।
• भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर गंगाजल अर्पित करिए और फिर धूप दिया प्रज्वलित करके मंत्र का जाप करिए।
• इसके बाद श्रीहरि और महालक्ष्मी को पीले फूल अर्पित करिए और चावल और रोली का तिलक लगाइए। इसके पश्चात दही का पंचम वेद एवं आटे की पंजीरी का उन्हें भोग लगाइए।
• इसके अलावा माता लक्ष्मी को खीर का भोग भी लगा सकते हैं। बहुत से लोग इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा भी सुनते हैं।
धार्मिक मान्यता:
ऐसी धार्मिक मान्यता है कि, पूजा के बाद सभी को प्रसाद विस्तृत करें एवं स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत पूजा पाठ करने वाले लोगों को सुख, चैन एवं समृद्धि प्राप्त होती है।
दान से बनेंगे काम:
मार्गशीष महीना के अनुसार पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी एवं कुंड में स्नान करने के बाद श्री हरि की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही इस दिन किए जाने वाले दान से शुभ फल प्राप्त होता है एवं 32 गुना ज्यादा फल आपको प्राप्त होता है। इसलिए इसका बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है। बताया जाता है कि इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने से भी विशेष फल प्राप्त होता है।