Mirzapur News: ढाई सौ वर्ष प्राचीन शिव मन्दिर, भक्तों की आस्था का बना केन्द्र

गरौड़ी शिव मंदिर में महाशिवरात्रि पर लगती है भक्तों की लम्बी कतार
 
ढाई सौ वर्ष प्राचीन मंदिर
Maha Shivratri: मन्दिर की मान्यता जो भी निःस्वार्थ भाव से आता उसको इच्छित फल मिल जाता


मिर्ज़ापुर, अदलहाट: जिले में स्थित अदलहाट बाजार के पास वाराणसी-शक्तिनगर रास्ते पर गरौड़ी नामक एक गाँव में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर लम्बें समय से श्रद्धालुओं के लिये आस्था का केन्द्र बना हुआ है। सड़क से बिल्कुल पास होने की वजह से यहाँ पर बड़ी आसानी से पहुँचा जा सकता है। विश्व की सबसे प्राचीन नगरी काशी से इसकी दूरी लगभग 35 किलोमीटर है। यहाँ पर प्रतिदिन भारी सँख्या में शिवभक्त आकर दर्शन पूजन करते हैं। महापर्व शिवरात्रि के दिन यह भीड़ कहीं ज़्यादा हो जाती है।


गरौड़ी मन्दिर का इतिहास

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का इतिहास तक़रीबन ढाई सौ साल से भी अधिक बताया जाता है। लगभग 250 साल पूर्व गरौड़ी गाँव को 'गिरीडीह' के नाम से जाना जाता था। ऐतिहासिक उल्लेखों के अनुसार यहाँ पर उस समय गोसाई जति के लोग (गिरी) रहते थे, जिस कारण यह स्थान गिरी यानि गोसाई व गोस्वामी और डीह का अर्थ है गाँव या छोटा कस्बा कहलाया। मंदिर के महन्त से बताया कि इस शिवालय का निर्माण 'जमुना बाबा' ने कराया था। इसके बारे में बहुत-सी मान्यताएँ प्रचलित हैं, महाशिवरात्रि के दिन इस शिव मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है। प्रमुख रास्ते पर होने कारण आस-पास के सभी दर्शनार्थियों का जत्था उमड़ता रहता है। आस-पास के सभी शिव भक्तों को भगवान शिव का दर्शन सुगमता से प्राप्त हो सके इसलिए इस मंदिर का निर्माण कराया गया।


मन्दिर का महत्व

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्राचीन मंदिरों के बारे में कई कहानियाँ व लोककथाएं प्रचलित होती हैं उन्हीं कहानियों की तरह इस शिव मंदिर के बारे में भी कई लोककथाएं प्रचलित हैं। आपको बता दें कि यह शिवालय तालाब के पास स्थित है जो इस मन्दिर की सुन्दरता को बढ़ाता है। काँवड़ यात्रा के दौरान इस मंदिर में जलाभिषेक का अपना अलग महत्व है। ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन बेलपत्र व गंगाजल से अभिषेक करने पर भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है। इसके अलावा भी भक्त अपनी श्रद्धानुसार महत्वपूर्ण दिनों पर भगवान का अभिषेक करते रहते हैं। ग़ौरतलब है कि स्थानीय मान्यता के अनुसार लोगों को यह कहना है कि इस शिवालय से कोई याचक निराश नहीं लौटा, सभी को श्रद्धानुसार फल की प्राप्ति होती है। विशेषकर महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए यहाँ पर भीड़ भी अधिक बढ़ जाती है। महाशिवरात्रि के दिन मन्दिर की सजावट लोगों का ध्यान आकर्षित करती है।
 

भक्तों की इच्छित मनोकामना होती है पूर्ण

मिर्ज़ापुर ऑफिशियल से बातचीत के दौरन मन्दिर के पुजारी छोटेलाल ने बताया कि भोलेनाथ को सच्ची श्रद्धा और आस्था के साथ जो जल चढ़ाता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। यह मंदिर अति प्राचीन एवं पौराणिकता को समेटे हुए क्षेत्र का एकमात्र शिव मंदिर है। महाशिवरात्रि के दिन मंदिर में रामचरितमानस का कार्यक्रम, भण्डारा व विशेष आयोजन भी किए जाते हैं। इसमें स्थानीय भक्तजन भी सहयोग करते हैं।

श्रद्धालु राधेश्याम मौर्य के अनुसार इस शिव मन्दिर की महिमा अपरंपार है जो भी यहाँ आया वो खाली हाथ कभी भी नहीं लौटा है। भोले बाबा ने सभी भक्तों की मनोकामना को पूर्ण किया है यही कारण है कि भक्त अपनी आस्था को लेकर पूरी उम्मीद के साथ अपने बाबा भोलेनाथ के पास चले आते है और देवों के देव महादेव भक्तों का कल्याण करते हैं।