Pradosh Vrat 2021: जानिये कब है कार्तिक माह के प्रदोष व्रत की शुभ तिथि, विधि एवं लाभ

प्रदोष व्रत 2021: भगवान शिव के पूजन के लिए लोग प्रदोष व्रत का पालन करते हैं, यदि आप भी इसका पालन करना चाहते हैं तो नीचे स्क्रॉल करें और जाने कब है तिथि, क्या है पूजन की विधि और क्या है शुभ मुहूर्त?
 
Source: ABPNews
यह धार्मिक प्रदोष व्रत हर महीने के त्रयोदशी तिथि में रखा जाता है, धार्मिक ग्रंथों की माने तो हर महीने में 2 बार प्रदोष व्रत रखे जाते हैं, एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में।


प्रदोष व्रत 2021/Digital Desk: सृष्टि के कर्ता धर्ता हैं भोले भंडारी, अगर आप भी शिव की पूजा अर्चना करते हैं तो यह आर्टिकल बिलकुल आपके काम का है। भगवान शिव के पूजन के लिए लोग प्रदोष व्रत का पालन करते हैं, यदि आप भी इसका पालन करना चाहते हैं तो नीचे स्क्रॉल करें और जाने कब है तिथि, क्या है पूजन की विधि और क्या है शुभ मुहूर्त।  

यह धार्मिक प्रदोष व्रत हर महीने के त्रयोदशी तिथि में रखा जाता है। धार्मिक ग्रंथों की माने तो हर महीने में 2 बार प्रदोष व्रत रखे जाते हैं, एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। इस वक़्त कार्तिक के महीने में दूसरे प्रदोष व्रत की तिथि है 16 नवम्बर।  इस बार यह व्रत मंगलवार के शुभ दिन पड़ रहा है, इसीलिए इसे हम भौम प्रदोष व्रत भी कह सकते हैं। प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। क्योंकि इस बार भौम प्रदोष व्रत आ रहा है इसलिए इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ पवनपुत्र हनुमान का भी आशीर्वाद ग्रहण किया जा सकता है।  

ऐसा माना जाता है कि, इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सारे दोष, पाप और दुःख हर लेते हैं।  विशेष पूजन करने पर हर तरह के क़र्ज़ से मुक्ति मिल जाती है। भौम प्रदोष व्रत के दिन विधि विधान से व्रत करने के बाद यदि कोई हनुमान चालीसा का पाठ करे तो उससे दुगने फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में हनुमान चालीसा का पाठ ज़रूर करना चाहिए ताकि लाभ मिल सके।  

प्रदोष व्रत 2021 तिथि: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत की तिथि 16 नवम्बर की है। इस दिन प्रातः 10 बज कर 31 मिनट से शुरू होगा मुहूर्त। मुहूर्त का समापन 17 नवम्बर के दिन 12 बज कर 20 मिनट पर है, इस दौरान पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त है शाम 6 बज कर 55 मिनट से लेकर रात 8 बज कर 57 मिनट तक।  

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा सूर्यास्त के समय ही की जाती है, इस वक़्त ज़्यादा लाभ मिलता है।  


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