Skanda Sashti Vrat: स्कंद षष्ठी, के दिन भगवान स्कंद का पूजन करने से मिलता है विजय का वरदान

भगवान स्कंद को देवताओं के युद्ध देवता  कार्तिकेय के रुप में भी पूजा जाता है
 
Skanda Sashti Vrat
स्कंद षष्ठी का उत्सव भगवान स्कंद के तारकासुर पर जीत के रुप में भी मनाते हैं. यह शुभ दिन शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को पड़ता है


Skanda Sashti: 25 फरवरी को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाएगा. स्कंद षष्ठी का उत्सव चंद्र मास की षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है. भगवान स्कंद का पूजन समस्त प्रकार के कष्टों को हर लेने वाला होता है. 

भगवान स्कंद को देवताओं के युद्ध देवता कार्तिकेय के रुप में भी पूजा जाता है. भगवान स्कंद विजय प्रदान करने वाले देव हैं जो साहस एवं शक्ति को प्रदान करते हैं. 

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष स्कंद षष्ठी का व्रत एवं पूजन किया जाता है.  स्कंद षष्ठी का समय इनकी जन्म तिथि से संबंधित है जिस कारण इस उत्सव को विशेष रुप से मनाए जाने का विधान रहा है.  स्कंद षष्ठी के दिन भक्त उपवास का पालन करते हैं और भगवान स्कंद के दर्शन तथा नाम स्मरण के द्वारा अपनी पूजा करते हैं. 
 
स्कंद षष्ठी पौराणिक महत्व 
स्कंद षष्ठी का उत्सव भगवान स्कंद के तारकासुर पर जीत के रुप में भी मनाते हैं. यह शुभ दिन शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को पड़ता है, जिसे दक्षिण भारत में बहुत हर्षोउल्लास के रुप में मनाया जाता है. भक्त उपवास रखते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं की उनके जीवन में मौजूद सभी कष्ट समाप्त हों जाएं तथा जीवन में सुख समृद्धि बनी रहे.   

पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि केवल भगवान शिव की संतान ही अत्याचारी तारकासुर का वध कर सकती थी अत: भगवान के पुत्र स्कंद ने तारकासुर को हराने के लिए एक सेना बनाई और उसका नेतृत्व किया. उन्होंने राक्षस को अंत करके सफलतापूर्वक समस्त ओर आनंद और शांति को पुनर्जीवित किया.  

स्कंद पूजा विधि 
इस शुभ दिन व्रत इत्यादि नियमों का पालन करते हुए पूजा करनी चाहिए.भक्त को इस दिन तामसिक चीजों से दूरी बनाए रखनी चाहिए. सात्विक शुभ अचरण का पालन करना चाहिए. इस समय के दौरान भगवान स्कंद के लिए मंत्र जाप एवं शास्त्रों को भी पढ़ना चाहिए और कांता षष्ठी एवं सुब्रमण्य भुजंगम का जाप करना चाहिए. स्कंद मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन करने चाहिए और विशेष पूजा भी कर सकते हैं.   

स्कंद षष्ठी महत्व
स्कंद षष्ठी को उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत में हर ओर भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है. इस दिन स्कंद भगवान के साथ साथ भगवान शिव एवं माता का विशेष पूजन होता है. जहाँ भी में भगवान कार्तिकेय को विजय साहस एवं वीरता का रुप माना जाता है. इन्हें युद्ध के देवता के रूप में भी जाना जाता है इसी कारण मंगल ग्रह के द्वता भी यही हैं. देवताओं के सेनापति रुप में हर युद्ध को वीरतापूर्वक विजय की ओर अग्रसर करता है. 


(Disclaimer: प्रकाशित जानकारी सामान्य मान्यताओं और लेखक की निजी जानकारियों व अनुभवों पर आधारित है, Mirzapur Official News Channel इसकी पुष्टि नहीं करता है)