Swami Ramkrishna Paramhans: रामकृष्ण परमहंस जिनके कार्यों का जनमानस पर पड़ा गहरा प्रभाव और बदली युवाओं की सोच

Swami Ramkrishna Paramhans: भारतीय संस्कृति एवं समाज सुधार के लिए अग्रदूत थे संत रामकृष्ण परमहंस 
 
Swami Ramkrishna Paramhans
भक्ति की डोर में बंधे गदाधर चट्टोपाध्या के स्वामी रामकृष्ण परमहंस बनने की कथा आज भी भक्तों के मन को कर देती है प्रकाश से परिपूर्ण 

 

Astro, Digital Desk: भारत के प्रमुख समाज सुधारक, धार्मिक विचारक, दार्शनिक संत एवं राजनीति पर गहरी छाप छोड़ने वाले स्वामी रामकृष्ण परमहंस आज भी जन मानस के मध्य प्रासंगिक रुप से मौजूद हैं. स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जीवन जन चेतना की की जागृति हेतु ही समर्पित रहा है. अपने जीवन काल में उन्होंने कई ऎसे कार्य किए जिनके द्वारा भारत की संस्कृति एवं उसकी सभ्यता को नया आयाम प्राप्त हुआ. प्राचीन संस्कृति के उद्धार में रामकृष्ण परमहंस जी का योगदान अतुलनीय रहा है. 

स्वामी रामकृष्ण परमहंस जीवन 
स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी का जन्म बंगाल प्रांत में स्थित कामारपुकुर ग्रांव में हुआ था. स्वामी जी के बचपन का नाम गदाधर था, इनके पिताजी का नाम खुदीराम और माता जी का नाम चंद्रा देवी था. कहा जाता है कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस के जन्म से पूर्व ही उनके माता पिता को कुछ अलौकिक घटनाओं अनुभव होने लगा और आने वाली संतान की शक्ति का उन्होंने अनुभव हुआ.   

अपनी प्रतिभा एवं क्षमता के द्वारा ही इन्हें ग्रंथों धर्म आध्यात्मिकता के विचारों का बेहद सूक्ष्म ज्ञान भी प्राप्त था. वेदों के प्रकांड ज्ञानी थे. अपनी प्रारंभिक शिक्षा में स्वामी जी अधिक तीव्र नहीं रहे किंतु भक्ति एवं ज्ञान की ज्योत इनके भीतर सदैव मौजूद रही. स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी ने अपना संपूर्ण जीवन देवी काली की भक्ति में समर्पित कर दिया था. वह ध्यान मग्न अधिक रहते थे. 

स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की भक्ति का संदेश देश में एक नवीन चेतना के रुप में स्थापित होता है. स्वामी जी ने समाज में भक्ति की स्थापना करके धर्म एवं समाज का कायाकल्प किया था. समाज में मौजूद कुरीतियों को समाप्त करने में इन्होंने अपने अथक प्रयासों से कई तरह की विसंगतियों को दूर करने की कोशिशें भी की. आज भी इनकी शिक्षाएं सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं. 

मां काली के परम भक्त स्वामी रामकृष्ण परमहंस
स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी देवी काली के परम भक्त थे.देवी के दर्शन स्वरुप का वर्णन इन्होंने जब अपनी वाणी में किया तो पहले पहल सभी ने ऎसा होना इनके मानसिक संतुलन खो देने की संभावना को ही माना लेकिन फिर धीरे धीरे जब इनकी भक्ति की शक्ति को सभी ने जाना तब लोग इनके भी भक्त हो गए. इनके विशेष शिष्यों में स्वामी विवेकानंद जी का नाम उल्लेखनीय रुप से लिया जाता है जिन्होंने अपने स्वामी जी की याद में रामकृष्ण परमहंस मिशन की स्थापना की थी और आज भी यह मौजूद है. 

 (Disclaimer: प्रकाशित जानकारी सामान्य मान्यताओं और लेखक की निजी जानकारियों व अनुभवों पर आधारित है, Mirzapur Official News Channel इसकी पुष्टि नहीं करता है)