Utpanna Ekadashi: उत्पन्न एकादशी का व्रत करें और सभी पापों से मुक्ति पाएं

Digital Desk: अपने पूर्ण जीवन काल में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसने कोई पाप न किया हो, इसलिए ही हरिद्वार के हर की पौड़ी में लोग जाते हैं डुबकी लगाने। माना जाता है की गंगा मैय्या सबके पाप धो देतीं है, लेकिन क्या सबके लिए संभव है हरिद्वार के हर की पौड़ी में माँ गंगा के दर्शन कर पाना ? शायद नहीं।
सबके लिए तो यह संभव नहीं है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आप जीवन में कभी अपनी की हुई गलतियों का पश्चाताप नहीं कर सकते। अपनी गलतियों का पश्चाताप करने और पाप से मुक्ति पाने के और भी कई तरीके हैं। कई लोग धन, मोह, माया को त्याग कर वैराग्य धारण कर लेते हैं तो वहीं कई लोग दान पुण्य में अपने जीवन को समर्पित कर देते हैं। इन सब के अलावा भी कई तरीके हैं अपने पाप से मुक्ति पाने के।
आज हम आपको ऐसे ही एक तरीके के बारे में बताने वाले हैं, यदि आप जानना चाहते हैं क्या है वह तरीका तो नीचे स्क्रॉल करें और आर्टिकल को पढ़ना जारी रखें।
हिन्दू धर्म में एक ऐसा प्रतापी व्रत बताया गया है जिससे सभी पापों का नाश हो जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार उत्पन्न एकादशी का व्रत बहुत ही प्रतापी और शुभ माना जाता है, उत्पन्न एकादशी को लोग कन्या एकदशी के नाम से भी बुलाते हैं। इस व्रत के तेज से सभी पाप धुल जाते हैं साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। यह प्रतापी व्रत महीनें में 15 दिन में एक बार आता है। इस व्रत से व्रती के सारे पाप धुल जाते हैं, उसके सभी रोग कष्ट और दुःख दूर हो जाते हैं। उत्पन्न एकादशी के व्रत में चावल का सेवन एकदम नहीं करना चाहिए।
उत्पन्न एकादशी की तिथि
इस महीने कृष्ण पक्ष की उत्पन्न एकादशी 30 नवम्बर के दिन मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का मुहूर्त प्रातः 04:14 से रात्रि 02:13 के बीच है, इस दिन व्यक्ति उपवास रखते हैं और पूजन करते हैं। इस व्रत से घर में सुख, शांति, समृद्धि का वास होता है।
पूजा की विधि
इस दिन स्नान करके पूजा करें। सबसे पहले भगवान विष्णु के नाम का दिया जलाएं और विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें। फिर श्री विष्णु जी की पूजा के लिए पीले पुष्प, पीले फल, धूप, दीप तुलसी दल एकत्रित करें और पूजन करें। अंत में आरती करके पूजा संपन्न करें। ध्यान रखें कि इस व्रत में दिन भर कोई भी आहार ग्रहण ना करें। दिन भर में यदि ज़रूरत महसूस हो तो एक बार जल और एक कोई फल ग्रहण कर सकते हैं। शाम को पूजा और आरती करने के बाद फलाहार ग्रहण करें।
source: upkiran