लोरिक और मंजरी के प्रेम कहानी की निशानी है Veer Lorik Patthar, हर साल यहाँ क्यों मनाई जाती है Govardhan Pooja...

वीर लोरिक पत्थर उत्तर प्रदेश के मरकुंडी पहाड़ी पर रॉबर्ट्सगंज से लगभग 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह पत्थर लोरिक और मंजरी की प्रेम एवं वीरता की कहानी का एक महत्वपूर्ण स्थान है।

 
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हर साल यहाँ मनाई जाती है Govardhan Pooja

उत्तर प्रदेश, Digital Desk: वीर लोरिक Markundi पहाड़ पर स्थित है और यह Robertsganj से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यह पत्थर लोरिक और मंजरी की प्रेम कहानी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, पुराणों के अनुसार अपना प्रेम साबित करने के लिए लोरिक ने इस पत्थर को काट डाला था।

कहानी :

5वीं शताब्दी के दौरान सोन नदी के किनारे अगोरी नामक एक राज्य था। उस राज्य का एक शासक मोलागत एक बहुत ही अच्छा राजा था, लेकिन वह एक यादव व्यक्ति एवं उसकी शक्तियों से ईर्ष्या करता था। 1 दिन राजा मोलागत ने मेहरा को एक जुए के मैच में आमंत्रित किया, यह प्रस्ताव किया कि जुआ खेल के विजेता राज्य पर शाशन करेगा। मेहरा ने राजा का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और वे जुआ खेलने लगे। राजा ने सब कुछ खो दिया और उसने अपना राज्य छोड़ना पड़ा। राजा की दुर्दशा को देखकर ब्रह्माजी एक व्यक्ति के रूप में आए और उसे कुछ सिक्के दिए, एवं उसे आश्वासन दिया कि अगर वह इन सिक्कों के साथ खेलेगा तो उसे अपना शासन वापस मिल जाएगा। राजा ने आज्ञा मानी और जीत गया।

मेहरा सब कुछ हार गया, यहा तक की अपनी पत्नी को भी दांव पर लगाकर हार बैठा। उसकी पत्नी गर्भवती थी राजा ने कहा कि अगर पुत्र पैदा होगा तो उसे अस्तबल के काम में लगा देगा एवं लड़की पैदा होगी तो उसे रानी की सेवा में नियुक्त कर देगा, मेहरा की पत्नी को लड़की पैदा हुई राजा ने उस लड़की को कब्जे में लेना चाहा लेकिन उसकी मां ने मना कर दिया।

माँ ने राजा के सामने यह शर्त रखी कि अगर वह मंजरी को हासिल करना चाहता है, तो उसे उसके पति को हराना होगा। राजा को यह चुनौती देते हुए, वह अपनी लड़की के लिए एक पति खोजने लगे जो शादी के बाद राजा को हारा सकेगा। तभी उन्हें लोरिक नाम का एक व्यक्ति मिला जो जवान था और पिछले जन्म में उसका प्रेमी भी था। लोरिक और मंजरी के बीच शादी तय हो गई, शादी के दिन राजा ने लोरिक को लड़ाई की चुनौती दी। लड़ाई में लोरिक हारने लगा, तभी मंजरी भी ने उसे कहा कि गोधानी नाम के एक गांव में शिव मंदिर है अगर लोरिक वहां जाकर शिव भगवान से प्रार्थना करेगा, तो यह लड़ाई जरूर जीतेगा। लोरिक ने प्रार्थना की और वह मुकाबला जीत लिया।

लेकिन मंजरी ने कहा कि लोरिक को कुछ ऐसा करना होगा ताकि लोग उनकी प्रेम कहानी को याद रखें। अपने प्रेम को साबित करने के लिए लोरिक ने तलवार से उस पत्थर को दो टुकड़े में काट दिया, इसके बाद मंजरी ने एक खंडित चट्टान से अपने सिर पर सिंदूर लगाया और दोनों की प्रेम कहानी अमर हो गई और आज भी यह पत्थर वैसे का वैसा वहीं पर स्थित है।

Govardhan Pooja:

बताया जाता है कि यह पत्थर के समीप हर साल विशाल रूप में गोवर्धन पूजा की जाती है। इतना ही नहीं गोवर्धन पूजा करते समय यहां पर 1 साल के आने वाले मौसम का भी अंदाजा लगा लिया जाता है।