Vindhyachal Dham: इस रहस्य को अपने में समेटे है मां विंध्यवासिनी धाम जहां श्री कृष्ण भी हैं देवी के कर्ज़दार

Maa Vindhyavasini माता विंध्यवासिनी का शक्ति स्थल कई तरह के चमत्कारों से भरा हुआ है. अनेक प्रकार की गाथाएं इस धाम से जुड़ी होती हैं.  
 
Vindhyachal Dham
विंध्यवासिनी धाम शक्ति के अनेक स्वरुपों का वर्णन हमे शक्ति ग्रंथों में विस्तार से मिलता है


Astro, Digital Desk: शाक्त परंपराओं के अनुसार धरती पर माता शक्ति पीठ एवं जागृत स्वरुप में विराजमान हैं. शक्ति के अनेक स्वरुपों का वर्णन हमे शक्ति ग्रंथों में विस्तार से मिलता है. सृष्टि के संचालन हेतु शक्ति ने हर बार अलग रुप धारा और भक्तों का उद्धार किया. भारत के कोने कोने में शक्ति के पुंज सदैव विराजमान रहे हैं. शक्ति का एक दिव्य स्थल हमें मिर्ज़ापुर (Mirzapur) जिले के करीब विंध्याचल धाम के रुप में देखने को मिलता है, जहां देवी विंध्यवासिनी के रुप में पूजी जाती हैं.
 

यहां माता तीन रुपों में विराजमान हैं  
विन्ध्य पर्वत पर स्थित माता विन्ध्यासिनी त्रिगुणात्मक रुप में यहां विराजमान है. विंध्यवासिनी धाम को एक सिद्ध पीठ के रुप में भी जाना जाता है. यहां माता महाकाली, महालक्ष्मी और अष्टभुजा स्वरुप में यहां विराजमान हैं.

 

यह स्थान माता के संपूर्ण रुप का स्थान है. मान्यताओं के अनुसार शक्ति पीठों में माता के अलग-अलग गिरे थे जिस कारण वह शक्ति स्थल बनें, किंतु यहां माता अपने संपूर्ण रुप में मौजूद होकर विराजमान होती हैं अत: इस स्थान को मणिद्वीप के रुप में भी जाना जाता है. भक्त माता के दर्शनों के लिए साल भर यहां आते हैं लेकिन नवरात्रों के दौरान यहां विशेष उत्सव एवं मेलों का आयोजन होता है और इस समय भक्त बहुत बड़ी संख्या में यहां दर्शन के लिए आते हैं. 

माँ विंध्यवासिनी का गहरा संबंध है भगवान श्री कृष्ण से
मां विंध्यवासिनी (Maa Vindhyavasini) की कथा का वर्णन श्रीमद्भागवत में भी प्राप्त होता है. भगवान कृष्णु का जन्म वासुदेव की आठवीं संतान के रुप में होना था जो कंस के वध का कारण बनती.

 

जब भगवान के अवतरण का समय हुआ तब श्री कृष्ण के साथ ही यशोदा जी के गर्भ से योगमाया ने भी जन्म लिया और तब वासुदेव जी ने बाल कृष्ण को रातोंरात यमुना नदी पार स्थित गोकुल में नन्द जी के घर यशोदा के पास छोड़ दिया और वहां से योगमाया को लाकर देवकी के पास रख देते हैं.
 

जब माया का आवरण हटता है तो कंस को देवकी की आठवीं संतान के जन्म लेने का समाचार मिलता है और वे उस संतान को मारने के लिए कारावास पहुंच कर उस बच्चे को मारने की कोशिश करता है तभी शक्ति स्वरुप योगमाया कंस के हाथ से छूट कर आकाश में चली जाती हैं और कंस की मृत्यु की भविष्यवाणी करके अंतर्ध्यान हो जाती है मान्यता अनुसार देवी अंतर्ध्यान होकर विंध्य पर्वत पर निवास के लिए आ जाती हैं इसी कारण से इस धाम को माँ विंध्यावासिनी धाम कहलाया. देवी ने जन्म लेकर भगवान श्री कृष्ण की लीला को पूरा होने में सहायता की थी जिसके कारण माता का भगवान से गहरा संबंध रहा है.

 

(Disclaimer: प्रकाशित जानकारी सामान्य मान्यताओं और लेखक की निजी जानकारियों व अनुभवों पर आधारित है, Mirzapur Official News Channel इसकी पुष्टि नहीं करता है)