क्यों ख़ास है मिर्ज़ापुर माँ विंध्याचल मंदिर, होने जा रहा है काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और विंध्याचल कॉरिडोर की भव्य निर्माण
राज्य बढ़ाएगी पर्यटकों की भीड़, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और विंध्याचल कॉरिडोर का भव्य निर्माण अब अपनी तेज़ी पकड़ रहा है। करोड़ो की लागत से बनकर तैयार किया जा रहा है, कॉरिडोर।

क्या होगा विंध्याचल कॉरिडोर में इतना ख़ास-
विंध्याचल धाम शक्ति पीठ है। पूरे उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल में नहीं, बल्कि देशभर में और व
विदेश भर में इसका महत्व जानने वाले लोग, यहां जीवन में एक बार आकर माता का दर्शन करना महत्वपूर्ण समझते हैं। मिर्ज़ापुर एक प्रसिद्ध धार्मिक शहर है, जो देवी मां की कृपा से चलता है। विंध्यवासिनी देवी का मंदिर पवित्र गंगा नदी के तट पर मिर्ज़ापुर से 8 किलोमीटर दूर है। मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में लोग आते हैं एवं अप्रैल और अक्टूबर के महीनों में तो नवरात्रि के दौरान बड़ी से बड़ी संख्या में लोग आते हैं, सभाएं भी आयोजित किए जाते हैं एवं मंदिर में लाखों लोगों की रौनक देखकर यह अंदाजा लगाया जाता है कि, यह कोई आम मंदिर नहीं है बल्कि माता का शक्तिपीठ है, जहां माता लोगों पर अपनी चमत्कारी शक्तियों से उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
जब नए विंध्यवासिनी कॉरिडोर का निर्माण पूरा हो जाएगा, तो नदी सीढ़ी से मंदिर तक दिखाई देने लगेगी, जो विंध्यवासिनी देवी के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों के लिए एक खूबसूरत दृश्य होगा। मां विंध्यवासिनी का यह कॉरिडोर 331 करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार होगा, इस कॉरिडोर का शिलान्यास गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किया गया था। बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है एवं इस प्रोजेक्ट को बनाने में सरकार कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती।
माता के धाम के प्रति लोगों की श्रद्धा:
मध्य प्रदेश की सीमा पटेल: मध्यप्रदेश के मंदसौर से मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने आए सीमा पटेल ने बताया कि, देवी हमेशा हम पर कृपा बनाए रखती हैं। यहां हम बचपन से आ रहे है, यह जगह अब पहले की तरह अब पूर्ण रूप से बदल गई है एवं और भी बेहतर हो गई है। पहले यहां इतनी प्रकार की सुविधाएं नहीं थी, जोकि अब हो गई है। यह विंध्यवासिनी देवी का मंदिर मुख्य आकर्षण है और देवी के आशीर्वाद का आह्वान करने के लिए चैत्र और आश्विन महीने के नवरात्रि के दौरान सैकड़ों भक्तों की भीड़ बढ़ती है।
प्रयागराज की प्रीति: प्रयागराज से प्रीति ने बताया कि वह हमेशा मां विंध्यवासिनी के दर्शन करने के लिए आती रहती हैं। लेकिन इस बार का अनुभव उनके लिए बड़ा ही अलग था, इन यात्राओं ने जो उन्हें महसूस करे हुए शब्दों के माध्यम से व्यक्त नहीं किया जा सकता। इस स्थान की पवित्रता को शब्दों के माध्यम से विस्तृत नहीं किया जा सकता, धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण करने के लिए योगी आदित्यनाथ जी जो भी कर रहे हैं, वह सराहनीय कार्य है। हमें उम्मीद है कि मोदी जी के नेतृत्व में अब हिंदुओं को लगता है कि इन मंदिरों का भी कोई अस्तित्व है। शुरुआत में थोड़ा मंदिर में जाने में तकलीफ होगी, लेकिन जब इसका निर्माण हो जाएगा तो यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं लगेगी।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और विंध्याचल कॉरिडोर को साथ जोड़ा जाएगा:
बताया जा रहा है कि, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को और विंध्याचल कॉरिडोर को एक साथ जोड़ा जाएगा, इस बात में थोड़ा दम भी लगता है। विंध्याचल वाराणसी से लगभग 70 किलोमीटर दूर है और प्रयागराज से लगभग 85 किलोमीटर दूर यह तीनों ही जगह एक प्रसिद्ध धार्मिक शहर के तौर पर मानी जाती है। ऐसे में अगर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और विंध्याचल कॉरिडोर को साथ जोड़ा जाएगा, तो यह उनके भक्तों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं। बताया जा रहा है कि, धार्मिक पर्यटन और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए गंगा में जहाज सेवा के माध्यम से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और विंध्याचल कॉरिडोर को जोड़ा जाएगा। यानी की अब वाराणसी पर्यटन विभाग ने रो रो नाम सेवा के माध्यम से दो गलियारों को जोड़ने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव ने बताया कि 2 रोपैक्स नौका, एमबी स्वामी विवेकानंद और एमबी मानेकशॉ जो शहर में पहुंचे थे, करीब 10 महीने पहले यहां गंगा में लंगर डाला गया था।
भव्य कॉरिडोर का निर्माण होने के बाद यहां के लोगों को काफी सुविधा हो जाएगी, पहले लोगों को लंबा सफ़र तय करके आना पड़ता था। लेकिन नाव सेवा के कारण अब प्रत्येक जहाज में लगभग 200 लोग यात्रा कर सकते हैं, फिलहाल मिर्ज़ापुर से चुनार तक यह सेवा शुरू की जा चुकी है।
बनारस में काशी विश्वनाथ महादेव का दर्शन करने के बाद अगर कुछ लोगों को माता का आशीर्वाद लेने विंध्याचल कॉरिडोर जाना हैं, तो वह धार्मिक पर्यटक वाली जहाज पर सवार हो सकते हैं और यात्रा के दौरान जहाज पर भक्ति का माहौल बनाने के लिए म्यूजिक सिस्टम पर भक्ति गीत भी बजाए जाएंगे। यह धार्मिक पर्यटन वाली नाव वाराणसी और विंध्याचल के बीच गंगा के मार्ग से मनोरम दृश्य दिखाते हुए, सुगम वातावरण का आनंद लेते हुए, एक सुनहरा अवसर प्रदान कराएगी।
कब तक होगा कॉरिडोर कम्पलीट:
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर तो लगभग 900 करोड रुपए की लागत से बनकर नवंबर तक तैयार हो जाएगा। लेकिन अब नवंबर महीना तो खत्म होने वाला है, उम्मीद की जा रही है कि साल अंत या नए साल की शुरुआत में यह कॉरिडोर बनकर तैयार हो जाएगा। इस कॉरिडोर पर कई साल से काम चल रहा था एवं समय-समय पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इसका निरीक्षण भी किया जा रहा था।
वही मां विंध्यवासिनी मंदिर के कॉरिडोर की बात की जाए तो यह लगभग 2022 के अंत या 2023 की शुरुआत में पूरा होने की संभावना है। यह योगी आदित्यनाथ जी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, इसलिए इसका निर्माण जल्द ही किया जाएगा। निर्माण होने के बाद विंध्यवासिनी मंदिर के चारों ओर 50 फीट चौड़ा परिक्रमा पथ बनाया जाएगा। ऐसा ही कुछ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में भी बनाया गया है, जो भक्तों को एक सुनहरा दृश्य का अनुभव कराएगा।
प्रधान पुजारी ने किया विरोध:
विंध्यवासिनी मंदिर के प्रधान पुजारी राजन पाठक ने बताया कि, जो गलियारा बनाया गया है सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण यहां जिसे हम संविधान कहते हैं, वह खतरे में है। यहां किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई है, जोर से शहर का दिल, हमारा विंध्याचल शहर का दिल है। यहां कम से कम लोगों की सहमति होनी चाहिए, इसे बनाने के लिए जिन लोगों को हटाया जा रहा है, जिन्हें मिटाया जा रहा है। कम से कम उन्हें तो रहने दिया जाए और उसकी अवज़ में 4 गुना मुनाफा भी उन्हें दिया जाए। पुजारी ने कहा कि लोगों को बंदूक के दम पर धमकाया गया है, पुजारी जी ने कहा कि जब कोरोना काल चल रहा था, तब लोगों को घर पर रहने की नसीहत दी जा रही थी। लेकिन कुछ लोगों ने कोरोना काल के दौरान हमें भी हमें बेघर करने पर तुले हुए थे। पुजारी जी ने आगे कहा कि सरकार द्वारा किया जा रहा है, यह काम कभी सफल नहीं होगा। क्योंकि धमकियों के बीच किया गया कार्य कभी फलदाई नहीं होता। हालांकि हम जो देख रहे हैं वह यह है कि हमारा धर्म भी खतरे में है और ऐसा ही संविधान है।