जब बम्बई में काम न मिलने के कारण, ऋषिकेश के ढाबे पे ऑमलेट बेचने लगे थे Sanjay Mishra, ऐसे पलटी किस्मत


आप सब ने संजय मिश्रा को कई सारे टेलीविजन शो और फिल्मों में देखा होगा वह हमेशा एक से बढ़कर एक बड़ी किरदार निभाते नजर आते हैं। यह बात करते हैं जीवन में उनके कठिन अनुभव के बारे में।

 
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जब मुंबई नहीं जा पाए संजय मिश्रा, ऋषिकेश के ढाबे पर बेचने लगे आमलेट।

मुंबई, डिजिटल डेस्क: आप सब ने संजय मिश्रा को कई सारी फिल्मों में कॉमेडी एवं सीरियस किरदार निभाते हुए देखा होगा। 90 के दशक से ही उन्होंने टेलीविजन में चाणक्य एवं हिप हिप हुर्रे और ऑफिस ऑफिस जैसे बढ़िया टीवी सीरियल्स में काम की।

संजय के पिता इनफार्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्ट्री में काम करते थे और उन्होंने संजय मिश्रा को फिल्मों में ट्राई करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया।

संजय मिश्रा का कहना है कि जब मुंबई गए तो उन्हें यह पता चला कि या तो आप कॉमेडी का किरदार कर सकते हैं, विलेन का किरदार कर सकते हैं या फिर हीरो का किरदार कर सकते हैं। लेकिन मैं इन तीनों में से किसी किरदार में फिट नहीं बैठ रहा था।


एक वक्त बाद उन्होंने ऋषिकेश के ढ़ाबे में काम करना शुरू कर दिया। ढाबे के मालिक सरदार जी संजय को कभी पहचान ही नहीं पाए। मानना था कि संजय अपनी पिता की मौत के बाद हताश हो गए थे और अकेले रहना चाहते थे।

गोलमाल सीरीज के डायरेक्टर रोहित शेट्टी ने संजय मिश्रा को दूसरा मौका दिया और उन्हें गोलमाल जैसी हिट फिल्मों में काम दिया। जिसके बाद संजय मिश्रा को कॉन्फिडेंस वापस मिलने लगा।


इसके बाद संजय मिश्रा ने कई सारी बॉलीवुड की हिट फिल्मों में काम किया। संजय मिश्रा की फिल्म मसान एक बहुत ही क्लासिक फिल्म मानी जाती है। जिसमें फिल्म एवं उनके किरदार की जबरदस्त तारीफ हुई थी।