Bhavina Patel : पोलियो की मार झेल कर भी ऊंचा रखा तिरंगा

दिल्ली, डिजिटल डेस्क : साल 1986 में जन्मी भाविना पटेल महज 1 साल की उम्र में पोलियो की शिकार हो गई उनके इलाज के लिए पर्याप्त प्रयास किए गए पर नियति के आगे किसी की एक न चली फिर ना जाने यह नियति थी या भाविना की ज़िद कि उन्होंने पोलियो के आगे घुटने ना टेके।
भावना ने अपने गांव में 12वीं तक की पढ़ाई की उसके बाद गुजरात विश्वविद्यालय से उन्होंने ग्रेजुएशन किया स्वयं को स्वस्थ रखने के क्रम में शौकिया टेबल टेनिस की शुरुआत ने भावना के जीवन को एक नई दिशा दी जो आज भी अनवरत उन्हें ऊंचाई की ओर गतिमान बनाए रखे हैं।
मध्यम वर्ग से संबंध रखने वाली भाविना पटेल गुजरात के मेहसाणा जिले के निवासी हैं। उन्होंने टोक्यो पैरा ओलंपिक में भारत को रजत पदक दिलाकर देश का नाम ऊंचा किया है फाइनल में चीन की खिलाड़ी से जीत ना सकी पर उनकी परिस्थितियों को देखते हुए भावना की हार कहना गलत होगा, कहा जाए तो भावना उपविजेता रही।
फाइनल में भाविना को चीनी खिलाड़ी झाउ यिंग के हाथों उन्हें 11-7, 11- 5, 11-6 के स्कोर से संतुष्ट रहना पड़ा। इसके पहले ही सेमीफाइनल में भाविना ने चीन के मियाओ झांग को 3-2 से पटखनी दी थी।
2013 में बिजिंग एशियन पैराटेबल टेनिस चैंपियनशिप में उन्होंने रजत पदक जीता था और भाविना ने 2018 में एशियाई पैरा खेलों में कांस्य पदक जीता। 2019 में, बैंकाक में वह पहला अंतरराष्ट्रीय एकल स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रही और अब भाविना ने 2020 के टोक्यो पैरालिंपिक में भारत के लिए रजत पदक लाकर देश का मान बचाए रखा।
सच ही कहते हैं "पंखों से क्या होता है हौसलों से उड़ान होती है।"