62 Years of Doordarshan: जब एक छोटे से डिब्बे में समा गई थी पूरी दुनिया, 62 साल पहले हुई थी दूरदर्शन की शुरुआत


1959 में 15 सितंबर को दूरदर्शन की सरकारी प्रसारक के तौर पर शुरुआत हुई थी।

 
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नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क: आज ही के दिन 1959 में 15 सितंबर को दूरदर्शन की शुरुआत हुई थी। भाषा संचार और डिजिटल क्रांति के इस युग में जीने वाली आज की युवा पीढ़ी को शायद ही दूरदर्शन का मतलब पता हो
 लेकिन, पिछली पीढ़ी और दूरदर्शन का साथ में आज भी एक गहरा नाता है।

आज ही के दिन छोटे से पर्दे पर चलती-बोलती तस्वीर दिखाने वाली बिजली से चलने वाला एक डिब्बा लोगों के समय काटने का विषय बन गया। पहले के जमाने में टेलीविजन बहुत कम लोगों के पास हुआ करता था और लोग  साथ में टीवी देखने को भी एक उत्साह की तरह मनाते थे और पूरा परिवार टेलीविजन साथ में देखता था। छत पर इस टेलीविजन का एंटीना हुआ करता था। जो ज़रा सा भी हिल जाए तो, टीवी काम नहीं करता था। छत पर चढ़कर उस एंटीना को वापस सही करना पड़ता था, ताकि वह सिग्नल पकड़े।

1959 मे दूरदर्शन की शुरुआत हुई तो उस समय प्रसारण केवल कुछ देर के लिए ही हुआ करता था नियमित तौर पर दैनिक प्रसारण की शुरुआत 1955 में ऑल इंडिया रेडियो के एक अंग के रूप में हुई। 1972 में यह सेवा मुंबई और अमृतसर तक विस्तारित हो गई जो आज देश के दूर-दूर गांव कस्बों तक उपलब्ध है। राष्ट्रीय प्रसारण की शुरुआत सन 1982 में हुई थी।

1984 में दूरदर्शन ने कलरफुल प्रोग्राम दिखाना शुरू कर दिया। यह वही समय था, जब फैमिली प्रोग्राम भी दूरदर्शन पर प्रसारित होना शुरू हो गए और जिसने प्रसिद्धता के सारे रिकॉर्ड भी तोड़ दिए। उसी समय एक सीरियल शुरू हुआ। जिसमें आलोक नाथ, विनोद नागपाल जैसे बड़े सितारे थे। जो भारत और पाकिस्तान के पार्टीशन की कहानी को दर्शाता था, यह शो बड़ा ही प्रसिद्ध हुआ।

धीरे-धीरे दूरदर्शन अपना विस्तार करता गया और कई सारे प्रोग्राम प्रसारित करता गया था, साथ में वीकेंड पर वह फिल्में भी दिखाना शुरू कर दिया। दूरदर्शन की लोकप्रियता अपने चरम पर थी। लेकिन फिर प्राइवेट टीवी चैनल  मार्केट में आ गए। जिससे दूरदर्शन का मार्केट डाउन होता गया।

लेकिन आज भी कुछ ऐसे कार्यक्रम है, कुछ ऐसे लोग हैं जो दूरदर्शन को बड़े मन से देखते हैं और पसंद करते हैं।