Happy Engineers Day 2021: क्यों मनाया जाता है इंजीनियर डे, जाने पूरा इतिहास
भारत के निर्माण में योगदान देने वाले इंजीनियर की याद में हर साल 15 सितंबर को इंजिनियर्स डे मनाया जाता है।

इस दिन भारत रत्ना मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ था।
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क: 15 सितंबर को हर साल इंजीनियर सिटी के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन वर्ष 1860 में भारत रत्ना और महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ था। मोक्षगुंडम जी ने देश की रचना एवं भारत को एक नया रूप दे दिया। जिसे शायद ही कोई भुला पाएगा, यह दिन देश के इंजीनियर के प्रति सम्मान और उनके कार्य की सहारा सराहना करने हेतु मनाया जाता है और इस वर्ष हम मोक्षगुंडम जी की 161वी जयंती मना रहे हैं।
1968 में भारत सरकार द्वारा डॉ मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या की जन्म तिथि को इंजीनियर डे के रूप में मनाने का घोषित किया है। उसके बाद हर साल से 15 सितंबर को इंडिया नियर मनाया जाने लगा। 15 सितंबर 1860 में मैसूर के कोलार जिले में मोक्षगुंडम जी का जन्म हुआ था। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले मोक्षगुंडम जी ने कठिन परिस्थितियों में स्कूल की पढ़ाई पूरी की और फिर पुणे में सिविल इंजीनियर की डिग्री हासिल की।
उसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने इन्हें नासिक में सहायक इंजीनियर के पद पर नियुक्ति दी। जब वे 32 वर्ष के थे तो उन्होंने सिंधु नदी के सुक्कूर कस्बे को पानी की पूर्ति वाले प्लेन को तैयार किया, जो सभी को पसंद आया। सरकार ने सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एक समिति बनाई थी, जिसके लिए मोक्षगुंडम जी ने एक स्टील का दरवाजा बनाकर नए ब्लॉक सिस्टम को इजाद किया जिससे पानी का बहाव रुक गया।
मोक्षगुंडम जी ने मूसा एवं इसा नामक दो नदियों के पानी को बांधने का भी महान कार्य किया और उसके प्लान को बखूबी तैयार किया। इसके बाद उन्हें मैसूर के चीफ इंजीनियर के तौर पर नियुक्त कर दिया गया। उन्हें न सिर्फ भारत सरकार द्वारा प्रशंसा मिली बल्कि दुनिया भर से उन्हें पुरस्कार एवं सदस्यता भी मिलती रही। 101 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। लेकिन उनका जीवन आज भी हमारे लिए लिए प्रेरणादाई एवं प्रेरणा सूत्र है।
डॉक्टर विश्वेश्वरैया ब्रिटिश शासन के दौरान एक रेलगाड़ी से सफर कर रहे थे। उस रेल में उनके साथ ज्यादातर अंग्रेज यात्री थे। वे डॉक्टर साहब को मूर्ख और अनपढ़ समझकर सफर के दौरान उनका मजाक उड़ाने लगे। वही डॉक्टर साहब गंभीर मुद्रा में सोच में बैठे थे। उन्होंने अचानक रेल की जंजीर खींचकर गाड़ी को रोक दिया, थोड़ी देर में रेल का गॉर्ड आया और सवाल करने लगा की जंजीर किसने खींची। तब डॉक्टर ने कहा कि जंजीर मैंने खींची है, क्योंकि मुझे लग रहा था कि, यहां से कुछ दूर पर रेल की पटरी टूटी हुई है। इसपर रेल की गाड़ी ने उनसे पूछा कि आपको कैसे पता चला। तो उन्होंने कहा कि, पटरियों की आवाज और गाड़ी की गति में अंतर नजर आ रहा है। जब पटरियों की जांच की गई तो पता चला कि एक जगह से रेल की पटरी का जोड़ खुला हुआ है।