महान लोकनायक और स्वतंत्रा सेनानी Jayprakash Narayan को देश का नमन

जयप्रकाश नारायण भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे एवं उन्हें लोकनायक के नाम से भी जाना जाता था। जिन्होंने क्विट इंडिया मूवमेंट में एक अहम भूमिका निभाई थी।
 
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जयप्रकाश जी को शत-शत नमन।

उत्तर प्रदेश, डिजिटल डेस्क: आजादी की लड़ाई में Jayprakash Narayan जी का एक बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बचपन से ही जयप्रकाश नारायण जी अच्छे विद्यार्थी थे और मास्टर की डिग्री लेने के लिए वह यूनाइटेड स्टेट्स भी गए थे। जब विदेश से पढ़ाई करके लौटे तो नेहरु जी ने जयप्रकाश जी को इंडियन नेशनल कांग्रेस जॉइन करने का निमंत्रण दिया, उस समय महात्मा गांधी उनके गुरु बन गए और उन्हें मार्ग देने लगे।

आजादी की लड़ाई में जयप्रकाश नारायण जी को कई बार जेल भेजा गया और पता नहीं कितनी बार टॉर्चर किया गया। 1932 में जयप्रकाश नारायण जी को, पॉलीटिकल लीडर राम मनोहर लोहिया, यूसुफ देसाई और अशोक मेहता के साथ जेल भेज दिया गया था। जब वहां से छूटे तो कांग्रेसी सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना हुई। जिसमें आचार्य नरेंद्र देव प्रेसिडेंट बने और जयप्रकाश नारायण जनरल सेक्रेट्री।

महात्मा गांधी के निधन के बाद जयप्रकाश नारायण और आचार्य नरेंद्र सिंह जी ने कांग्रेस छोड़ अपनी एक स्ट्रांग अपोजिशन पार्टी की स्थापना की जिसे सोशलिस्ट पार्टी के नाम से जाना गया, बाद में उस पार्टी को प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का नाम दे दिया गया।


1954 में जयप्रकाश नारायण जी ने या ऐलान किया कि वह पूरी जिंदगी विनोबा भावे के सर्वोदय मोमेंट के प्रति खुद को न्योछावर कर देंगे, जिसके लिए उन्होंने अपनी जमीन सब कुछ क्या कर दिया ।

जब नक्सली वारदातें बढ़ने लगी तो जयप्रकाश जी ने ज्यादातर समय चंबल के डकैत को सुधारने में लगाया,  जिसमें उन्होंने संपूर्ण क्रांति का आश्वासन दिया वहीं।

1975 में इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगा दी, जयप्रकाश नारायण जी को चंडीगढ़ के अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। जहां वह डायलिसिस के भरोसे रह गया। जयप्रकाश नारायण जी को इस तरह जेल भेजना, उनके विश्व भर के चाहने वालों के लिए एक सदमा था। जिसके बाद उनके प्रशंसकों ने यूनाइटेड स्टेट्स में फ्री जयप्रकाश नारायण के नारे लगाए।

1977 में जयप्रकाश नारायण जी के सिद्धांतों को मद्देनजर रखते हुए कई सारी पार्टियां एक हो गए और उन्होंने जनता पार्टी की स्थापना की। जयप्रकाश नारायण जी की मृत्यु के बाद लोगों ने उन्हें लोकनायक का दर्जा दिया।