समर्थक मानते है पंडित जी को एक बड़ी हस्ती, जानिए पंडित जी के जीवन का सफ़र

पंडित जी ने अपने विचारों पर लेखन से जंक्शन को एक नई ऊंचाई दी। जिसमें साथ में इंटीग्रल ह्यूमैनिज्म की विचारधारा के साथ वे लोकप्रिय हुए।

 
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उत्तर प्रदेश, डिजिटल डेस्क: पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी भारत के राजनेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक बड़े विचारक एवं संगठनकर्ता था। पंडित जी के नाम से मशहूर दीनदयाल उपाध्याय का आज जन्म दिवस है। इसी दिन को पंडित जी की याद में अंत्योदय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हिंदुत्व की विचारधारा को गहराई से जोड़ने के लिए, पंडित दीनदयाल उपाध्याय को एक अलग विश्लेषण विचारधारा से जोड़कर देखा जाता है। उनकी इंटीग्रल ह्यूमैनिज्म की विचारधारा समूचे राष्ट्र एक ही दृष्टि पर देखने को हाथ जोड़ देती है। जिसके लिए उन्होंने जीवन समर्पित कर दिया था।

पंडित जी का जन्मदिन 25 सितंबर 1916 को उत्तर प्रदेश के मथुरा के पास नगला जिले में हुआ था। पिता भगवतीचरण उपाध्याय स्टेशन मास्टर थे और ज्योतिष का भी काम करते थे और माता साधारण विरोधी थे। दीनदयाल जी के माता पिता का निधन हो गया और उनके लालन-पालन उनके मामा ने किया। पंडित जी ने दिए तक पढ़ाई की और काफी कठिन परीक्षण भी किया है।

कॉलेज के दिनों में उनका संघ से परिचय हुआ और उन्होंने आरएसएस के संस्थापक हेडगेवार से अच्छे संबंध बढ़ते गए और वह हर क्षेत्र में जुड़ गया। पंडित जी का लेखन में भी बड़ा गहरा लगाव था और उन्होंने राष्ट्रीय धर्म नाम की एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया। इसके बाद उन्होंने साप्ताहिक पंच जन्म और दैनिक स्वदेशी की भी शुरुआत की।

उपाध्याय की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह स्थान पर अचानक होने के बाद भी खुद की विचारधारा रखते थे।

श्याम प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु के बाद जंक्शन की जिम्मेदारी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के हाथों में आ गई थी और उनके नेतृत्व ने ही पार्टी में नए मुकाम हासिल की है। उन्होंने जनसंघ की राजनीतिक विचारधाराओं को नीचे स्तर पर कार्यकर्ताओं तक पहुंचाया, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने भी उसे अपनाया।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के योगदान को भारत कभी नहीं भूल सकता।