युवक ने Relationship में युवती के साथ बनाए शारीरिक संबंध, फिर भी क्यों हुआ गुनाहगार साबित?, कोर्ट ने बताई यह वज़ह

रिलेशनशिप में रहकर युवक और युवती ने शारीरिक संबंध(sex)बनाए थे। लेकिन फिर भी युवक पर अपहरण और बलात्कार का इल्ज़ाम, सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए।

 
image source : live law

सहमति और असहमति के बीच में एक बहुत बड़ा फ़ासला होता है - केरल हाई कोर्ट

Digital Desk: केरला हाई कोर्ट द्वारा एक युवक और युवती की प्रेम कहानी पर एक फैसला सुनाया गया, इस केस को लेकर पहले भी कोर्ट द्वारा आदेश सुनाया गया था। जिसको ओवर-रूल करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने दूसरा फैसला सुनाया। यह केस केरल का है, जहां पर एक युवक और युवती रिलेशनशिप में थे। वह दोनों साथ रहते थे, लेकिन दोनों के बीच शारीरिक संबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया। पहले यह जान लेते हैं कि, यह केस किस बारे में है और इस केस में हुआ क्या था।

क्या थी युवक और युवती की कहानी?

यह मुद्दा युवक और युवती के बीच की प्रेम कहानी का है। युवक और युवती एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। युवक का नाम श्याम सिवान है, जिसे रेप के मामले में दोषी ठहराया गया था। श्यामू ने केरल हाई कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपनी एक अपील दायर की थी। श्याम और युवती एक दूसरे से बड़ा प्यार करते थे। साल 2013 में इन दोनों का प्रेम परवान चढ़ा और वे साथ में कर्नाटक से मैसूर चले गए। मैसूर में श्याम ने पीड़िता के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए। श्याम ने पीड़िता के सारे गहने भी बेच दिए, क्योंकि वहां उन लोगों का गुजर-बसर करना मुश्किल हो रहा था। कुछ समय बाद में वह पीड़िता को लेकर गोवा चला गया, जहां उसने फिर युवती से रेप किया। इतना ही नहीं श्याम ने लड़की को धमकी दी कि, अगर वह उसके साथ नहीं चलेगी तो वह उसके घर के सामने आत्महत्या कर देगा।

कोर्ट का फ़ैसला?

पूर्व में कोर्ट ने श्याम पर पोस्को एक्ट के तहत सजा सुनाई थी। कोर्ट के अनुसार उस वक्त लड़की नाबालिक थी और श्याम ने उससे जबरन शारीरिक संबंध बनाए, जिसके लिए उसे पोस्को एक्ट के तहत सजा सुनाई गई थी। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस फैसले को बदला दिया और फिर श्याम पर धारा 366 और 376 यानि की अपहरण और बलात्कार (kidnapping and rape) के तहत सजा सुनाई, आप भी सोच रहे होंगे कि कोर्ट ने ऐसा क्यों किया। कोर्ट ने अपनी सफाई में आदेश दिया कि, रिलेशनशिप में रहकर भी कुछ दायरे होते हैं। जिनका रिलेशनशिप में रहने वाले व्यक्तियों को पालन करना आवश्यक है।

सहमति और सबमिशन में है फ़र्क?

कोर्ट ने फैसले में यह बताया कि, किसी के साथ जबरदस्ती करना और सहमति से शारीरिक संबंध बनाना दो अलग-अलग चीजें हैं। कोर्ट में इस बात को माना कि कुछ-कुछ जगह पर पीड़िता ने श्याम का विरोध नहीं किया, लेकिन इसे संबंध बनाने के लिए सहमति नहीं माना जा सकता, वह एक तरफ से पैसिव सबमिशन था। जिसमें युवती की सहमति पूर्ण रूप से नहीं थी, क्योंकि उसके पास उस समय कोई विकल्प नहीं था। कोर्ट ने बताया कि किसी के प्रति समर्पित होकर एवं किसी के साथ जबरदस्ती किया जाना, दो अलग मामले हैं। इस केस में श्याम ने लड़की को शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया एवं इमोशनल ब्लैकमेल भी किया। जिसके तहत श्याम पर अपहरण और बलात्कार के मामले लगाए गए हैं। लड़की की उम्र का उस वक्त अंदाजा नहीं लगाया जा सका, इसलिए श्याम पर पोस्को एक्ट के तहत लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया गया है।

स्किन टू स्किन टच-

कोर्ट ने कहा कि स्किन-टू-स्किन टच किए बिना अगर कोई नाबालिक को गलत तरीके से छूता है, तो उसे भी यौन शोषण के तहत माना जाएगा एवं उससे कानून के हिसाब से सजा सुनाई जाएगी।