Apna Dal (के) ने लौटाई मिर्ज़ापुर की मड़िहान सीट, क्या गठबंधन में इस मतभेद से होगा Samajwadi Party को नुकसान

खबरें आ रही है कि, समाजवादी पार्टी और अपना दल (के) के बीच मतभेद चल रहा है। इसका कारण सीटों के चयन को लेकर बताया गया है।

 
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अपना दल (के) ने लौटाई समाजवादी पार्टी की सीट।

मिर्ज़ापुर, Digital Desk: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Elections 2022) में इस बार जबरदस्त उठापटक देखने को मिल रही है। ऐसे में अब पहले चरण के मतदान में केवल 6 दिन शेष रह गए हैं। इस समय समाजवादी पार्टी और अपना दल (के) के गठबंधन में दरार की खबर सामने आ रही है। कुछ दिन से ऐसी खबर आ रही है कि, अपना दल सीट के बंटवारे को लेकर खुश नहीं है। उसने वाराणसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की नाराजगी को सार्वजनिक कर दिया है। अगर इस विवाद को जल्द समाजवादी पार्टी ने दूर नहीं किया, तो गठबंधन सहयोगियों के जरिए समाजवादी पार्टी की चुनावी रणनीति में गड़बड़ हो सकती है, जिसका नुकसान उसे उठाना पड़ेगा।

क्या है मामला:

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party Apna Dal Controversy) ने अपना दल (के) (Apna Dal News) को बंटवारे में 18 विधानसभा सीट दी थी। इसके बाद अपना दल ने 29 जनवरी को अपने 7 सीटों की घोषणा कर दी। लेकिन इन दोनों दलों के बीच मतभेद की खबर तब सामने आई जब बुधवार को समाजवादी पार्टी ने इलाहाबाद पश्चिमी सीट से अमरनाथ मौर्या को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। जबकि यह सीट अपना दल के लिस्ट में थी। उसी दिन समाजवादी पार्टी ने कृष्णा पटेल की बेटी पल्लवी पटेल को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ चुनावी मैदान में उतार दिया। सपा ने यह भी नहीं बताया कि पल्लवी उसके सिंबल पर चुनाव लड़ेंगी या नहीं। सपा की इस घोषणा से उसकी कौशांबी यूनिट में भी असंतोष है। खबर तो यहां तक आई की पल्लवी पटेल सिराथू सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार भी नहीं है।

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इसके बाद अपना दल ने गुरुवार को सपा की ओर से दी गई सीट को लौटाने की घोषणा भी कर दी। खास बात यह है कि मिर्ज़ापुर (Mirzapur) की मड़िहान सहित, वाराणसी की पिंडरा और रोहनिया, प्रतापगढ़ सदर, जौनपुर की मडियाहूं, सोनभद्र की घोरावल, प्रयागराज की इलाहाबाद, इन सभी सीटों को सपा को वापस करने का फैसला कर दिया। लोगों को सबसे ज्यादा इस बात ने चौंका दिया कि, अपना दल (के) ने मिर्ज़ापुर मड़िहान जैसे सीट को भी वापस कर दिया। मिर्ज़ापुर की मड़िहान सीट ऐसी सीट है, जहां पर अपना दल (के) अच्छा चुनाव लड़ सकती थी। लेकिन उन्होंने ने इस सीट को भी समाजवादी पार्टी को वापस कर दिया है।

अपना दल (के) के महासचिव निरंजन ने वाराणसी में पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि, वह कोई विवाद या कन्फ्यूजन नहीं चाहते, इसलिए पार्टी ने सभी वह सीट समाजवादी पार्टी को लौटा दी है, जो उसे मिली थी। समाजवादी पार्टी इन सीट उनको दे दे जिन्हें इसकी जरूरत है, इसके बाद अगर कोई सीट बचेगी तो वह फिर हमें दे दे।

अपना दल (के) का वोट बैंक:

अपना दल (के) ज्यादातर वोट कुर्मी वोटरों को माना जाता है। इस जाति की आबादी पूरे उत्तर प्रदेश में है, इस दल का पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश के मुसलमानों पर भी  प्रभाव पड़ता है। खासकर बनारस, प्रयागराज और मिर्ज़ापुर में आने वाली सीटों में इनके इलाकों में अपना दल (के) के प्रतिद्वंदी अपना दल (एस) भी उपस्थिति में है। अपना दल (एस) का फिलहाल भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन है। समाजवादी पार्टी इस बार पिछड़े वर्ग के लोगों को एक साथ करने की कोशिश में जुटी हुई है। वही मुसलमान उसका आधार वोट बैंक माना जाता है, ऐसे में अपना दल के साथ मतभेद को अगर दूर नहीं किया गया, तो कुर्मी वोटरों के साथ-साथ अन्य वोटर भी समाजवादी पार्टी से रूठ सकते हैं और चुनाव में उसे नुकसान भी हो सकता है।