Mirzapur News: सिराथू में कृषणा पटेल की पार्टी ने मारी बाज़ी, लेकिन बेटी के गढ़ में दोनों हाथ खाली
सिराथू में पल्लवी पटेल ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जैसे बड़े दिग्गज़ नेता को हराकर सबको हैरान कर दिया है।

मिर्ज़ापुर, Digital Desk: मिर्ज़ापुर (Mirzapur) की दो विधानसभा सीट चुनार और मड़िहान में अपना दल (कमेरावादी) सपा से गठबन्धन के बाद भी हार गई है। इतना ही नहीं जिस दावेदार को टिकट देने से सपा ने परहेज किया था, वह उसी सीट पर जीत हासिल कर विधायक बन गया। जबकि मिर्ज़ापुर (Mirzapur News) जिले में सपा का खाता भी नहीं खुल पाया है। गठबन्धन के बीच आपसी द्वंद के चलते लगाई गई एक दूसरे की लंगी में सपा और अपना दल (के) दोनों के प्रत्याशी धराशाही होते नज़र आए।
विस्तार:
अपना दल (कमेरावादी) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पल्लवी पटेल (Pallavi Patel) सिराथू में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) को हराकर सबको चौका दिया है, लेकिन जिले की दो सीटों पर उनके सिपाही सपा के साथ गठबन्धन करके भी हार गए है। समाजवादी पार्टी से गठबंधन के साथ ही अपना दल (कमेरावादी) ने दो सीट पर चुनार और मड़िहान में अपनी बिरादरी की अच्छी जमात को देखते हुए चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल किया था। पर्चा दाखिल करने के आखिरी दिन मड़िहान सीट पर सपा के रविंद्र बहादुर सिंह ने भी नामांकन कर दरार पैदा कर दिया। इससे कार्यकर्त्ता के साथ ही समर्थक भी बिदक गए।
भाजपा के प्रत्याशी को मिला फायदा:
इसका सीधा फायदा भाजपा प्रत्याशी रमाशंकर सिंह पटेल (Ramashankar Singh Patel) को मिला गया, वह दुबारा जनता की पसन्द बन कर विजेता चुने गए। जबकि सपा के रविंद्र बहादुर सिंह पटेल को 41, 690 तथा अपना दल कमेरावादी के अवधेश कुमार सिंह को 23, 894 वोट ही मिला। यह तब हुआ जब मतदाता असमंजस में थे। सपा से गठबंधन के बाद भी जिले में खेले गए खेल से खेल ही बिगड़ गया। इसका असर पड़ोसी सीट पर पड़ना तो लाजिमी ही था।
चुनार में अपना दल कमेरावादी के दावेदार रमाशंकर प्रसाद सिंह को 62022 वोट मिला थे। जातीय आंकड़ों और सपा के वोट बैंक के सहारे पार होती नैया को देख रही कमेरावादी के अरमान जिले में डूब गया।
डॉक्टर विनोद बिंद ने मारी बाज़ी:
समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता के ग्रुप में डॉ.विनोद कुमार बिंद (VINOD KUMAR BIND) ने मझवां सीट पर समाजवादी पार्टी से टिकट मांगा था। उनकी मांगों को दरकिनार कर भदोही के औराई से टिकट दिया गया, जिस पर नाराज होकर उन्होंने टिकट वापस कर निषाद पार्टी को जॉइन कर लिया। जनता ने उनपर विश्वास जताते हुए जीत का सेहरा बांध दिया। सपा का खाता आपसी मतभेद के चलते नहीं खुला। इतना ही नहीं अपने ही प्रत्याशी कार्यकर्ता को दूसरे के पाले में डालकर सपा अपना खाता खुद क्लोज कर दिया।