Mirzapur: हिन्दी संस्थान द्वारा साहित्यकरों को आर्थिक सहायता व प्रकाशन अनुदान के लिये मांगा गया प्रस्ताव

मिर्ज़ापुर, Digital Desk: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के द्वारा हिन्दी भाषा प्रचार प्रसार के लिये प्रदेश के आर्थिक रूप से विपन्न साहित्यकारो को साहित्यकार कल्याण कोष तथा प्रकाशन अनुदान योजना के अन्तर्गत रचनाकारो को उनकी पाण्डुलिपि के मुद्रण/प्रकाशन हेतु अनुदान के लिये साहित्यकारो से प्रस्ताव आमंत्रित किया गया हैं।
निदेशक हिन्दी संस्थान पवन कुमार ने जिलाधिकारी को प्रेषित एक पत्र के माध्यम से जानकारी देते हुये बताया कि साहित्य कल्याण कोष योजनान्तर्गत संस्थान द्वारा इस योजना के अन्तर्गत 60 वर्ष से अधिक आयु के विषम आर्थिक स्थिति ग्रस्त या रूग्ण ऐसे साहित्यकारो को जिनकी वार्षिक आय समस्त स्रोतो सहित रूपया 05 लाख से अधिक नही है उन्हे अधिकतम 50 हजार अनावर्तक आर्थिक सहायता प्रदान की जाती हैं।
इसके अतिरिक्त प्रकाशन अनुदान योजनान्तर्गत संस्थान द्वारा रचनाकारो को जिनकी वार्षिक आय समस्त स्रोतो सहित रूपया 05 लाख से अधिक नही है कुल प्रकाशन पर होने वाले व्यय का तीन चैथाई भाग, जो रूपया 30 हजार से अधिक नही होगा। उनकी पाण्डुलिपि के मुद्रण/प्रकाशन हेतु अनुदान प्रदान करने हेतु प्रस्ताव आमंत्रित किया गया हैं। उन्होने कहा कि (पुस्तक अधिकतम 200 पृष्ठो की हो) आवेदन के साथ पाण्डुलिपि संलग्न करना अनिवार्य होगा। प्रस्तुत पाण्डुलिपि वापस नही की जायेगी। उक्त दोनो योजनाओ की नियमावली एवं आवेदन पत्र का प्रारूप कि हिन्दी संस्थान कार्यालय लखनऊ अथवा जिला सूचना कार्यालय रामबाग मिर्ज़ापुर से किसी कार्य दिवस में प्राप्त किया जा सकता हैं।
हिन्दी संस्थान उ.प्र. लखनऊ में प्रार्थना पत्र जमा करने की अन्तिम तिथि 28 मई 2022 निर्धारित की गयी हैं। योजनाओ के विवरण एवं प्रार्थना पत्र का प्रारूप संस्थान की वेबासाइट www.uphindisansthan.in पर भी उपलब्ध हैं।
रिपोर्ट- रवि यादव, जिला संवाददाता
मिर्ज़ापुर ऑफिशियल