Vindhyachal News: परंपरा अनुसार 17 अप्रैल की सुबह गंगाजल से हुआ विंध्यांचल धाम का शुद्धिकरण
वार्षिक पूजनोत्सव के मौके पर वैशाख मास कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर भक्त घड़े में गंगाजल लिए नज़र आए

Vindhyachal, Digital Desk: मिर्ज़ापुर (Mirzapur) विंध्याचल धाम (Vindhyachal Dham) में वैशाख की प्रतिपदा तिथि यानि 17 अप्रैल की सुबह 9 बजे से 12 बजे हजारों की संख्या में जुटे भक्तों ने माता रानी का जलाभिषेक किया गया। गंगाजल से धाम की धुलाई हुई, नवरात्रि में माता विंध्यवासिनी के धाम में आराधना करने वाले भक्तों की संख्या प्रतिदिन लाखों में होती है। मान्यता अनुसार लंकिनी-डंकिनी, भूत-प्रेत और ऊपरी बाधाओं को हटाने के लिए परंपरा के अनुसार विंध्याचल धाम का शुद्धिकरण गंगाजल से किया जाता हैं।
माता के धाम में जुटे हजारों घड़ाधारी भक्त:
विन्ध्य पर्वत पर विराजमान जगतजननी आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी (Vindhyavasini) का धाम आदिकाल से साधकों के लिए सिद्ध पीठ रहा है। माता के दरबार में तंत्र-मंत्र के साधक साधना में लीन होकर लोग माता रानी की कृपा पाते हैं। आम दिनों में भक्त जहां माता के दरबार में माला-फूल, वस्त्र, धूप-दीप लेकर आराधना करने आते हैं, जबकि वार्षिक पूजनोत्सव के मौके पर वैशाख मास कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर भक्त घड़े में गंगाजल लिए नज़र आए
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नवरात्र में प्रतिदिन भारत के कोने-कोने से भक्तों का तांता लगा रहता है। नवरात्र मेला खत्म होने के बाद विन्ध्याचल वासी माता के धाम की गंगाजल से धुलाई करते हैं। अनादि काल से चली आ रही इस परंपरा के तहत भक्त घड़ा की पूजा करने के बाद गंगा स्नान करते है। इसके बाद घड़े को गंगाजल से भरकर माता के धाम की सफाई करते हैं।
श्रीविन्ध पंडा समाज के मंत्री भानू पाठक ने कहां,
"हजारों साल से वैशाख की प्रतिपदा तिथि पर गंगाजल से मंदिर की धुलाई करने और सलाना पूजन अर्चन कर रात में निकासी की परंपरा चली आ रही है। परंपरा का निर्वहन करने पर लोगों को असीम शांति मिलती है। परंपरा का निर्वहन करने से इलाके के लोग खुश रहते हैं।"