Vindhyachal News : कंतित उर्स मेला में जायरीनों ने चादरपोशी कर मांगी दुआ

मिर्ज़ापुर: विंध्याचल के कंतित स्थित इस्माईल चिस्ती रहमतुल्ला अलैह उर्फ कंतित शरीफ का 4 दिवसीय सालाना उर्स मेला मंगलवार से शुरू हो गया जो 11 फरवरी तक चलेगा। बुधवार भोर 4 बजे दशकों से चली आ रही परंपरा के अनुसार हिन्दू कसेरा परिवार पहली चादरपोशी करेगा।
700 वर्ष पुराना उर्स मेला शुरू होने से पहले बाबा की मजार पर पहली चादर हिदू परिवार की ओर से चढ़ाया जाता है। सैकड़ों साल पहले जवाहर लाल का परिवार मन्नत पूरी होने पर चादरपोशी किया था। तभी से यह परिवार लगातार दरगाह पर चादरपोशी करता चला आ रहा है। हजरत ख्वाजा इस्माइल चिश्ती की दरगाह पर लगने वाला सलाना उर्स मेला सामाजिक सद्भाव की मिसाल पेश करता चला आ रहा है।
उर्स मेला में दूर-दराज से आए जायरीनों ने मजार पर चादर चढ़ाकर मन्नत पूरी करने की दुआ मांगी मेला में कोरोना के चलते इस बार दुकान, स्टाल व झूला नहीं लगा। कोरोना की पाबंदियों की वजह से बच्चे इस बार मेले का लुत्फ नहीं उठा सके। माला-फूल आदि की दुकानों से गुलजार होने वाला कंतित शरीफ का मैदान सूना-सूना रहा। मेले में पूर्वांचल के विभिन्न जिले से जायरीन आते हैं| दरगाह पर चादर पोशी कर मन्नत मांगते हैं।
कहा जाता है कंतित शरीफ में मन्नत मांगने वालों की मुरादें अवश्य पूरी होती हैं। ख्वाजा इस्माइल चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की सालाना उर्स के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक महिला, पुरुष, बच्चे सभी का ताता लगा रहता है।
माँ विंध्यवासिनी मंदिर से करीब 1 km दूरी पर स्थित कंतित शरीफ नाम से हजरत ख्वाजा इस्माइल चिश्ती की दरगाह देश भर में प्रसिद्ध है। कंतित शरीफ के उर्स मेला में कोविड के चलते प्रशासन के अपील पर इंतजामिया कमेटी ने सीमित कर दिया है। इसकी घोषणा पहले ही की जा चुकी है। पहले जनपद व प्रदेश ही नहीं देश के कोने-कोने से आने वाले जायरीनों का हुजूम लगा रहता। 4 दिनों तक रूक कर बाबा की मजार पर मन्नते आदि करते।
इस बार कोरोना के चलते जायरीनो की संख्या कम है। कहा जाता है कंतित शरीफ दरगाह पर मिलती है अजमेर शरीफ बाबा की दुआ। जो अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह तक नहीं पहुंच पाते हैं, वे कंतित शरीफ बाबा की दरगाह पर मन्नतें मांगते हैं तो उन्हें अजमेर शरीफ वाले बाबा की दुआ मिलती है।
रिपोर्ट- रवि यादव, जिला संवाददाता
मिर्ज़ापुर ऑफिशियल