रिक्शा चालक की मौत से टूटा परिवार, अब नही कोई जीने का सहारा

अचानक पिता की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा
 
रिक्शा चालक का परिवार
मृतक रिक्शा चालक की पत्नी मानसिक रूप से विकलांग है और उसके 2 दो छोटे बच्चे भी हैं


मिर्ज़ापुर : कहते है पिता ही जीने का सहारा होता है और जिनके सर से पिता का साया ही उठ जाए उसके जीवन के आगे की कठिनाइयों का कोई अंदाजा नही लगा सकता, पिता गरीब हो या अमीर अपने बच्चें को पालने की हर संभव प्रयास करता है और उन्हें अपनी तरफ से हर तरह की खुशी देना ही पिता का एकमात्र लक्ष्य होता है। लेकिन रोज कमाकर घर चलाने वाला पिता ही जब इस दुनिया से अलविदा कह दे तो ऐसे बच्चें की जिंदगी में मुश्किलें ही सामने आती है। 

ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसने सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि आखिर अब इन बच्चों की आगे की जिंदगी किसके सहारे बीतने वाली है। मामला विंध्याचल क्षेत्र के गोसाई पुरवा स्थित कांशीराम आवास से है, यहां रह रहे रिक्शा चालक सुरेश कुमार गुप्ता जिनकी उम्र लगभग 40 वर्ष थी अचानक कल रात उनकी मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। 

बता दें कि मृतक रिक्शा चालक की पत्नी मानसिक रूप से विकलांग है और उसके 2 दो छोटे बच्चे भी हैं। मृतक रिक्शा चालक इतना गरीब था कि उसके मरने के बाद उसके परिवार में उसके अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं थे। हालांकि जानकारी मिलने पर नगर विधायक रत्नाकर मिश्रा ने अंतिम संस्कार के लिए ₹2000 उन्हें दिए हैं।

लेकिन यह राशि उनकी जीविका चलाने के लिए तो पर्याप्त नही है। ऐसे में यह बहुत बड़ा सवाल है कि आखिर इस परिवार के मुखिया के जाने के बाद इनका जीवन कैसे चलेगा? कैसे यह बच्चें दो वक्त की रोटी की व्यवस्था कर पाएंगे? कौन बनेगा इन बच्चों का सहारा? क्या इनकी मदद के लिए सरकार, शासन या प्रशासन आगे आएगा या ये भी बच्चें कही किसी चौराहे पर भीख मांगते हुए नजर आएंगे।


रिपोर्ट- रवि यादव, जिला संवाददाता
मिर्ज़ापुर ऑफिशियल