दूध के मिलावट की समस्या का मिर्ज़ापुर के दो दोस्तों ने निकाला समाधान, अब होगा दूध का दूध-पानी का पानी

दूध में मिलावट(milk adulteration) की समस्या आजकल आम है। लेकिन इस मामले पर मिर्ज़ापुर के दो युवक ने (Del strips) नाम का एक किट बनाया है, जिससे पता चल जाएगा कि दूध की क्वालिटी कैसी है।

 
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अब होगा दूध का दूध और पानी का पानी।

मिर्ज़ापुर, Digital Desk: दूध में मिलावट की समस्या एक आम समस्या है। मिलावट वाला दूध पीने से लोगों को किडनी और लीवर संबंधित बीमारियों का सामना करना पड़ता है। जिससे बच्चों का विकास भी रुक जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर सख्ती दिखाई है और दूध में मिलावट की समस्या को रोकने हेतु उम्र कैद की सजा की सिफारिश की है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं ,जिनकी इनोवेशन से ना सिर्फ कुछ ही मिनटों में दूध की टेस्टिंग की जा सकेगी, बल्कि यह भी पता चल जाएगा कि, दूध कितना पोष्टिक है। साथ ही यह बात भी एक महत्वपूर्ण बात है कि, यह काफी सस्ता टेस्ट है।

बब्बर और मनोज़ की इनोवेशन:

"देलमोस रिसर्च" नाम से अपनी कंपनी चलाने वाले बब्बर सिंह और मनोज मौर्य की यह कहानी है। यह दोनों करनाल स्थित नेशनल डेहरी रिसर्च इंस्टीट्यूट से डिग्री टेक्नोलॉजी में डिग्री हासिल करने के बाद मदर डेयरी, अमूल जैसी कई संस्थानों में काम कर चुके हैं। लेकिन शुरू से ही वे कुछ अलग कर लोगों को कुछ साबित करना चाहते थे। इसके बाद उन्होंने Del Strips नाम की एक टेस्टिंग किट बनाई, जिससे इस तकनीक के कारण किसी भी दूध की क्वालिटी का पता लगाया जा सकता है। जिससे सच में "दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा", टेस्टिंग करने का खर्च महज ₹5 का है।

मनोज ने बताया कि, वह और बब्बर मदर डेयरी में साथ काम किया करते थे। ऐसे में उन्होंने अपना कुछ शुरू करने का फैसला किया। पहले अपना एक पिज़्ज़ा कॉर्नर शुरू करना चाहते थे, जिसके लिए हमने एनडीआरआई के प्रिंसिपल साइंटिस्ट श्री डॉक्टर राजेंद्र शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि प्रोसेस इस सिस्टम का पेटेंट हासिल नहीं हो सकता है। हम कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे हमें पेटेंट मिल जाए और कोई हमारा मॉडल कॉपी ना
 कर पाए इसीलिए हमें मिल्क एडल्टरेशन बनाने का सुझाव दिया। ऐसे में हमने मिलकर प्रोक्योरमेंट में ही काम किया और हमें मिलावट की समस्या का अंदाजा पहले से ही था। उनके इस सुझाव को सुनते ही हमने तय कर लिया कि, हम इसी दिशा में काम करेंगे। हमने इस पर फरवरी 2016 से काम करना शुरू किया और सितंबर 2017 में हमारी कंपनी शुरू हो गई।

मनोज ने बताया, दूध की टेस्टिंग के 3 तरीके होते है:

मशीन टेस्टिंग, केमिकल टेस्टिंग, रैपिड टेस्टिंग।

उन्होंने बताया कि जिस मशीन से दूध की जांच की जाती है, उनकी कीमत लाखों रुपए तक की होती है। इसलिए यह केवल चुनिंदा जगह पर ही पाए जाते हैं। दूध की जांच करने का सबसे पुराना तरीका केमिकल टेस्टिंग है, लेकिन इसे भी हर कोई नहीं कर सकता। ऐसे में रैपिड टेस्टिंग किट ही सबसे सही उपाय होगा।

उन्होंने बताया कि, रंग की इंटेंसिटी को देखकर कलर चार्ट से मिलाया जाता है। जिससे पता चल जाता है कि दूध में कितना प्रतिशत मिलावट की गई है। अन्य तरीकों से केवल इतना पता चलता है कि दूध में मिलावट है या नहीं। लेकिन हमारे तरीके से यह पता चल जाएगा कि, दूध में असल में क्या दिक्कत है। स्ट्रिप अगर पीले रंग की होती है और यदि दूध में डालने के बाद वह नीला पड़ जाए, तो समझ जाना चाहिए कि दूध में मिलावट हो गई है। यदि रंग ना बदले तो कोई दिक्कत नहीं है। इस प्रक्रिया में महज 5-10 सेकंड लगते हैं और ज्यादा से ज्यादा 6 मिनट का समय लगता है और इस स्ट्रिप की लाइफ लगभग 6 महीने से अधिक होती है।

इसीलिए उन्होंने इस कीट का आविष्कार किया है कि, जिससे ग्राहकों को अब बेहद आसानी से ही, टेस्टिंग करने का अनुभव मिल सके ऐसे में महज ₹5 की भी कम कीमत से मेरे दूध की टेस्टिंग कर सकेंगे और आसानी से दूध की विशेषताओं का पता लगा सकेंगे।

2018 में आईआईटी कानपुर और वेलग्रो इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा आयोजित आयोजित कार्यक्रम में भी इनके इनोवेशन को पुरस्कार के रूप में 2500000 रुपए का इनाम मिला था। इतना ही नहीं उन्हें फूड सेफ्टी और स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित स्टार्टअप अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है।

मिर्ज़ापुर से खास लगाव:

उन्होंने बताया कि, वे दोनों पढ़ाई पूरी करके कई कंपनियों में काम कर चुके हैं। लेकिन अपने मूल शहर मिर्ज़ापुर में ही मेरी कलेक्शन का बिजनेस उन्होंने शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि मिर्ज़ापुर में मिल्क कलेक्शन की कोई खास सुविधा नहीं है। इसीलिए हमने मिर्ज़ापुर में ही इस काम को शुरू किया। उन्होंने बताया कि हम किसानों से ऊंची दर पर दूध खरीद सकते हैं और दूध को दूसरी जगह पर अच्छे दाम में बेचते हैं। इससे किसान का भी नुकसान नहीं होता और हमारा भी नुकसान नहीं होता है। उन्होंने बताया कि आज भारत के कई अन्य जगहों पर भी हमारा बिजनेस चल रहा है। पहले शुरुआत में हमें कई सारे नुकसान झेलने पड़े, लेकिन अब हम अच्छा काम कर रहे हैं। जिसकी वजह से उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है।

मिर्ज़ापुर के मूल निवासी इस तरह का सराहनीय काम करे तो, मिर्ज़ापुर एवं प्रदेश के हर एक नागरिक को गर्व महसूस करना चाहिए।