UP NEWS: अयोध्या की खूबसूरती को और निखारेंगे मिर्ज़ापुर के लाल पत्थर, जानिए कहां होगा इनका इस्तेमाल
अयोध्या के पौराणिक महत्व वाले मणि पर्वत पर लगेंगे मिर्ज़ापुर के लाल पत्थर।

उत्तर प्रदेश, Digital Desk: अयोध्या में सौंदर्यीकरण का काम तेजी से चल रहा है। पौराणिक महत्व रखने वाले मणि पर्वत (Mani Parvat) की मरम्मत का काम भी किया जा रहा है, जिससे इसका गौरव वापस लौट सकेगा। राम जन्मभूमि (RAM MANDIR NEWS) के मंदिर निर्माण के साथ-साथ, अयोध्या धाम के दूसरे पौराणिक ऐतिहासिक स्थलों को भी सवारने का काम किया जा रहा है। पहले चरण में मणि पर्वत के गर्भ तक पहुंचने वाली सीढ़ियों को फिर से बनाया जा रहा है। अपना अस्तित्व खो चुकी इन सीढ़ियों पर मिर्ज़ापुर (MIRZAPUR) के लाल पत्थरों को लगाया जाएगा।
शुरू हुआ मणि पर्वत के जीणोद्धार का काम:
मणि पर्वत की दशा इस तरह खराब हो गई थी कि, हल्की बारिश होने के बाद भी पर्वत के गर्भगृह तक पहुंचने में घंटों का समय लग जाता था। बरसात के मौसम में मणि पर्वत की चढ़ाई बहुत ही कष्टकारी हो जाती थी। पहले भी अयोध्या (AYODHYA NEWS) धाम के संत महंतों ने मणि पर्वत के पुनर्निर्माण के लिए आवाज उठाई थी। लेकिन फिलहाल अब उनकी मांगों को सुनते हुए मणि पर्वत के सौंदर्यीकरण का काम हो रहा है। ऐसे में इसकी खूबसूरती को मिर्ज़ापुर के लाल पत्थर निखारेंगे। मिर्ज़ापुर (MIRZAPUR NEWS) के लाल पत्थर काफी मज़बूत होते हैं, जो हर मौसम को सह लेते हैं और एक वक्त तो पानी भी सोख लेते हैं। ऐसे में यह दिखने में भी खूबसूरत होते हैं। इनके लगने से सीढ़ियों की सुंदरता और बढ़ जाएगी। लाल पत्थर के लिए ₹45 लाख का बजट पास किया गया है।
मणि पर्वत का महत्व:
फिलहाल मणि पर्वत परिसर में पीएसी का कैंप लगा हुआ है। इस प्राचीन धरोहर के संरक्षण को लेकर प्रशासन की नींद खुल चुकी है। प्रशासन के दिशा निर्देश के बाद अब पुरातत्व विभाग ने मणि पर्वत के सुंदरीकरण का काम संभाल लिया है। मणि पर्वत को संजीवनी बूटी का पहाड़ भी कहा जाता है।
रामायण में इसका उल्लेख भी किया गया है। रामायण में जब लक्ष्मण मेघनाथ के युद्ध के दौरान घायल हो गए थे। तो सुषेण वैद्य ने हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने को कहा था। माना जाता है कि, संजीवनी बूटी लेकर लौट रहे हनुमान जी पर भरत जी ने शत्रु समझकर हमला कर दिया था। तब हनुमानजी मणि पर्वत पर गिर पड़े थे। लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि हनुमान प्रभु श्री राम के भक्त हैं, तो भरत को बहुत ही पछतावा हुआ। संजीवनी बूटी वाले पहाड़ का कुछ हिस्सा टूटकर यहां भी गिरा था, इसीलिए लोग इसे मणि पर्वत कहते हैं।