Amitabh Thakur IPS : सिर्फ़ योगी-अखिलेश नहीं बल्कि मायावती के सरकार में भी पड़े थे लेने के देने, नहीं मिला था प्रमोशन

विवादों से भरा हुआ है पूर्व आईपीएस का करियर
 
amitabh thakur
"अच्छे दिन" वाली सरकार में नहीं बदले दिन


लखनऊ, डिजिटल डेस्क : 'अमिताभ ठाकुर" इस नाम पर पूरा उत्तर प्रदेश दो भागों में बटा हुआ हैं। एक उनके पक्ष में तो दूसरा उनके विपक्ष में कभी-कभी तो ऐसा होगा कि एक ही व्यक्ति एक ही व्यक्ति किसी मामले में उनके पक्ष में तो दूसरे मामले में विपक्ष में नज़र आता हैं। 1993 में IPS बने अमिताभ ठाकुर IIT कानपुर से ग्रेजुएट हैं इनका जन्म बिहार में में हुआ था। ठाकुर अपने रवैये से हमेशा ही विवादित चेहरे बने रहे एक ओर ये सख्त ईमानदार व्यक्तित्व की छवि बनाते हैं तो दूसरी ओर इनके ऊपर लगे इल्ज़ाम बेहद गंभीर और संवेदनशील भी हैं।


सपा सरकार के वक़्त मुसीबतों से घिरे :

साल 2006 में मुलायम सिंह यादव के समधी रहे रामवीर यादव से फ़िरोज़ाबाद में तैनाती के दौरान अमिताभ ठाकुर से हाथापाई हुई कहा जाता हैं इस दौरान अमिताभ ठाकुर को विधायक रामवीर यादव ने थप्पड़ भी मारा था।

दरअसल हुआ यूं था कि अमिताभ ठाकुर बतौर पुलिस कप्तान फ़िरोज़ाबाद में पोस्टेड थे और उनकी विधायक रामवीर से बनती नहीं थी ऐसे में विधायक ने कार्यक्रम में शिवपाल यादव को बुलाया जिसमें प्रशासनिक अव्यवस्था को लेकर के सपा कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। इस दौरान पुलिस कप्तान अमिताभ ठाकुर से हाथापाई भी हुई इस बाबत अमिताभ ठाकुर एका थाने में एफ आई आर दर्ज कराई थी, उसके बाद उनका तबादला कर दिया गया था। 


जब अपने ही महकमें पर साधा था निशाना :

अपने हरकतों की वजह से अमिताभ ठाकुर कभी अपने विभाग को ही निशाने पर ही ले लेते हैं अमिताभ ठाकुर ने एक मर्तबा आरोप लगाया था कि थानों पर निरीक्षकों की तैनाती में भारी गड़बड़ी है उन्होंने बताया था कि लखनऊ सहित कई शहरों में पर्याप्त मात्रा में निरीक्षक होते हुए भी थानों पर उप निरीक्षकों को प्रभारी बनाया गया है और इसके पीछे ट्रांसफर पोस्टिंग का बड़ा खेल चल रहा है यह प्रकरण भी खूब हाईलाइट हुआ था पर समय के साथ है मामले पर धूल जम गई। 
 

वायरल ऑडियो और हज़ार रुपये का चेक :

साल 2015 अमिताभ ठाकुर के जीवन में शायद सबसे विवादित सालों में एक रहा  इस साल उन्होंने मैच हराने के लिए महेंद्र सिंह धोनी को ₹1000 का चेक भेजा था और इसके साथ ही उनके जीवन का सबसे चर्चित कांड मुलायम सिंह यादव के ऑडियो टेप और धमकी से संबंधित था। साल 2015 में भारतीय क्रिकेट टीम के वर्ल्ड कप हारने के बाद उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी को ₹1000 का चेक भेजा था और लिखा था ।

मैच हराने के लिए धन्यवाद और इस साल उन्होंने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव पर धमकाने का आरोप भी लगाया था, जिसका एक ऑडियो क्लिप काफी वायरल हुआ था। उसके तुरंत बाद गाजियाबाद में अमिताभ ठाकुर पर रेप का मुकदमा दर्ज हुआ था ,जिसके वजह से उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। रेप मामले में आरोपित होने के बाद अमिताभ ठाकुर ने अपने केबिन के बाहर एक कागज चिपकाया, जिस पर लिखा था "महिला आगंतुक अकेले ना आए" यह पोस्टर भी काफी विवादित रहा था।


फेसबुक व आइटम सॉन्ग्स पर भी जताई थी आपत्ति :

अमिताभ ठाकुर मुन्नी बदनाम हुई और शीला की जवानी जैसे गानों के खिलाफ भी कोर्ट जा चुके हैं और इसके साथ ही उन्होंने फेसबुक और भी एफ आई आर दर्ज कराई थी। मामला था कि फेसबुक पर "आई हेट गांधी" नामक एक पेज पर महात्मा गांधी के खिलाफ अभद्र पोस्ट किए जा रहे थे जिसके खिलाफ उन्होंने फेसबुक को रिपोर्ट किया था और कार्रवाई न होने पर उन्होंने फेसबुक के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करा दी थी।

इसके बाद अमिताभ ठाकुर की काफी वाहवाही हुई थी इतना ही नहीं अमिताभ ठाकुर अपने सीनियर अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर पुलिस द्वारा दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर पर आपत्ति जताई थी, उन्होंने लिखा था कि कुछ मंत्री वाकई आपराधिक पृष्ठभूमि के होते हैं जिनको गार्ड आफ ऑनर देने से इमानदार पुलिस वालों के मनोबल पर असर पड़ता है इसलिए मंत्रियों को दिया जाने वाला गार्ड ऑनर बंद कर दिया जाना चाहिए। 


बसपा की सरकार के वक़्त भी नहीं मिला प्रोमोशन

मायावती सरकार के दौरान अमिताभ ठाकुर पर शस्त्र लाइसेंस में धांधली के आरोप बना हुआ था इसके अलावा उन पर आय से अधिक संपत्ति के मामला दर्ज हुआ था इन विवादों पर कोई निष्कर्ष तो नहीं निकला पर अमिताभ ठाकुर का पदोन्नति रोक दिया गया था दरअसल साल 1993 में नौकरी ज्वाइन करते वक्त उन्होंने अपनी संपत्ति का विवरण शासन को नहीं दिया था और साल 1993 से 99 तक संपत्ति का वार्षिक विवरण उन्होंने इकट्ठा दिया था जो कि विवाद का जड़ था। 

इसके अलावा उनकी पत्नी और बच्चों पर के नाम एकत्रित की गई संपत्ति  शक के घेरे में थी उक्त प्रकरण के बाद अमिताभ ठाकुर का प्रमोशन रोक दिया गया था जिसके खिलाफ वह केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में गए थे जहां उनको पदोन्नत करने का फैसला सुनाया गया और सीधे कप्तान से आई जी की पद पर अखिलेश यादव सरकार में पदोन्नति मिली थी।


योगी सरकार में नहीं आये "अच्छे दिन" :

सूबे में भाजपा सरकार आने के बाद कयास लगाए गए कि अमिताभ ठाकुर के दिन बहुरेंगे पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ उल्टे समय के साथ उनकी मौजूदा सरकार से भी तनातनी बढ़ती गई साल 2020 में उन्होंने विकास दुबे के सरेंडर के बाद ही कहा था कि हो सकता है विकास दुबे का एनकाउंटर कर दिया जाए जो कि बाद में सच हुआ इसके अलावा शिक्षक भर्ती मामले में धांधली को लेकर वो सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए दिखे।

मार्च 2021 में गृह मंत्रालय ने उन्हें नौकरी के लिए उपयुक्त नहीं माना था जिसके बाद वह सरकार के खिलाफ खुलकर मोर्चा लेते नजर आते हैं अमिताभ ठाकुर ने हाल ही में अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की थी और उसके साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने की बात भी कही थी जिस के कुछ दिनों बाद ही उन्हें सुप्रीम कोर्ट के बाहर एक रेप पीड़िता के आत्मदाह मामले में आत्महत्या के प्रयास के लिए उकसाने का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया है फिलहाल वह अभी न्यायिक हिरासत में हैं उनके रवैए को देखते हुए कुछ लोगों ने उन्हें उत्तर प्रदेश का अरविंद केजरीवाल कहना भी शुरू कर दिया है।

इस समय प्रदेश में चुनावी बयार बह रही है जिसके चलते राजनीतिक सरगर्मी काफ़ी तेज़ है। अब यह देखना है कि क्या 2022 इनके ग्रहों की दशा ठीक कर पाता है या फिर इनके विवादों की फेहरिस्त में एक किस्सा और शामिल हो जाने वाला है।