Bhadohi News: फाइलेरिया की दवा खिलाने में सहायक साबित हो रही आशा

भदोही, Digital Desk: औराई विकास खण्ड के अच्छवार गांव की अनिता, 53 वर्ष को दिन में चलने पर पैर फूल जाता था फिर रात भर सोकर उठने के बाद सूजन खत्म हो जाती थी, गांव की आशा पुष्पा देवी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र औराई ले जाकर जांच कराई तो पता चला कि फाइलेरिया है। वहीं औराई विकास खण्ड के विशुनपुर गांव में संगीता, 44 वर्ष के पैर में सूजन था। इस गांव की आधा दर्जन महिलाओं के पैर में सूजन की खबर मिली लेकिन उन्हें फाइलेरिया को लेकर काफी भ्रम था और दवा भी नहीं खा रहे थे।
फाइलेरिया की पुष्टि हो जाने के बाद सभी मरीज आशा की देखरेख में दवा खाए और घर वालों को भी खिलवाया। यह तो सिर्फ उदाहरण हैं, ऐसे कई लोग हैं जिन्हें आशा फाइलेरिया की दवा खिला रही हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर सन्तोष कुमार चक ने बताया कि अभियान के दौरान जिले में 16 लाख लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित है। जिले की कुल 1357 आशा फाइलेरिया मरीजों को चिन्हित कर रही हैं साथ ही सभी को दवा खिला रही हैं। उन्होंने बताया कि 10 फरवरी से चल रहा अभियान 27 फरवरी को संपन्न होगा। इस दौरान लक्ष्य के अनुसार सभी को दवा सेवन करना है।
जिला फाइलेरिया अधिकारी डॉक्टर राम आसरे ने बताया कि पिछले वर्ष जिले में 1347 हाथीपांव व 1189 लोग हाइड्रोसील के रोगी मिले थे। फाइलेरिया की दवा का सेवन दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और अत्यधिक बीमार लोगों को नहीं करना है। शेष सभी साल में एक बार और लगातार पांच वर्ष तक दवा खाकर भविष्य की परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं। उन्होंने बताया कि माइक्रो फाइलेरिया यदि शरीर के अंदर है तो भी वह दवा के सेवन से समाप्त हो जाता है।
दूसरा लाभ दवा खाने से संक्रमित व्यक्ति से उसके परिवार में संक्रमण नहीं फैलता है, यह दवा पूर्णतः सुरक्षित है। मच्छर के काटने पर शुरू में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, असल में इसके लक्षण आने में 5 से 10 वर्ष लग जाते हैं। सिर्फ हल्का बुखार और खांसी आती है। उस समय फाइलेरिया पर किसी का संदेह भी नहीं जाता है। सामान्य सर्दी.खांसी और बुखार समझकर उसे नजरंदाज कर देते हैं धीरे-धीरे हाथ व पैरों में सूजन होने लगती है। परिवार के अन्य सदस्यों के भी इससे प्रभावित होने का खतरा बना रहता है। संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद मच्छर अन्य को संक्रमित कर सकता है, इसलिए दवा खाना आवश्यक है।
इसी गांव की राधिका, 57 वर्ष का भी पैर हमेशा सूजा रहता है। जांच में पता चला कि वह फाइलेरिया संक्रमित हैं इसके बाद उन्हें अभियान के दौरान फाइलेरिया रोधी दी जा रही है। साथ ही पैर में चोट से बचाव करने और साफ सफाई के बारे में विस्तारपूर्वक बताया जा रहा है।
विकास तिवारी, संवाददाता