Scam: महिला शक्ति केंद्र के पैसों में लाखों रुपये की घपलेबाज़ी का मामला, फ़र्ज़ी बिल से हुआ फ़्रॉड

वर्ष 2019-20 में निदेशालय से महिला शक्ति केंद्र के लिए आए गए 18 लाख़ रुपए की बड़ी धनराशि में घपले का मामला सामने आया है। जिसमें पकड़े जाने के बाद तत्कालीन जिला प्रोबेशन अधिकारी को स्थानांतरित कर दिया गया है।

 
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फ्रॉड रसीद के ज़रिए होती थी घपलेबाज़ी।
उत्तर प्रदेश, Digital Desk: वर्ष 2019 में महिला शक्ति केंद्र के लिए ₹18 लाख़ की धनराशि आई थी। इस 18 लाख़ की बड़ी धनराशि से महिला कल्याण के लिए सुखमय कार्य किया जाना था। लेकिन इस धनराशि में घपले बाजी करने एवं बंदरबांट किए जाने का मामला सामने आया है। डिप्टी डायरेक्टर मिर्ज़ापुर और सीडीओ द्वारा गठित 3 सदस्यों की टीम की जांच में कथित फर्जी बिल और टुकड़ों में सामग्री खरीदने के चलते 16.11 लाख़ का कथित फ्रॉड पकड़े जाने का मामला सामने आया है। जिसके बाद तत्काल प्रभाव से जिला प्रोबेशन अधिकारी को यहां से स्थानांतरित कर दिया गया है और आगे की जांच निदेशक महिला कल्याण की तरफ से कराई जा रही है।

ज़िला प्रोबेशन विभाग में घपलेबाज़ी:

घपलेबाज़ी का मामला जिला प्रोबेशन विभाग से जुड़ा हुआ है। कार्यालय के एक लिपिक की शिकायत पर तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी ने 3 सदस्यों की टीम बनाकर मामले की जांच कराई थी। जिला विकास अधिकारी, ग्राम विकास अभिकरण के परियोजना निर्देशक और बेसिक शिक्षा विभाग के वित्तीय लेखा अधिकारी की जांच में पाया गया कि महिला शक्ति केंद्र के लिए वर्ष 2019-20 में 18 लाख़ का बजट प्राप्त हुआ था। पत्रावली के अवलोकन से यह पता चला कि इस बजट में कंप्यूटर प्रोजेक्टर, प्रिंटर, यूपीएस आदि शासनादेश और नियम के विपरीत बिना किसी टेंडर कोटेशन या जेम पोर्टल के वाराणसी की एक संस्था से क्रय कर लिए गए।

अलग बिल वाउचर से फ्रॉड:

बिल वाउचर की जांच की गई तो पता चला कि टेंडर प्रक्रिया से बचने के लिए जहां सामग्री टुकड़ों में एक ही प्रकृति की सामग्री कार्य को अलग-अलग वाउचर के माध्यम से किया गया है। जिस क्रमांक के बिल पहले जारी होनी चाहिए थे, वह बाद में जारी किए गए थे और बाद वाले बिल को पहले की तिथि में शामिल कर लिया गया। इस फर्जीवाड़े को मानते हुए वित्तीय नियमों का उल्लंघन कर 1611831 रुपए का भुगतान रिपोर्ट बनाई गई है। रिपोर्ट में gst और 2% टीडीएस कटौती की जानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा न करके सरकार की छवि का अपमान किया गया है। फिलहाल जांच रिपोर्ट के क्रम में मंडलायुक्त की तरफ से दिए गए निर्देश और तत्कालीन जिलाधिकारी अभिषेक सिंह की तरफ से कार्यवाही के लिए प्रमुख सचिव महिला कल्याण विभाग को पत्र भेज दिया गया है।

महिला कल्याण विभाग लेगी एक्शन:

जिला अधिकारी की तरफ से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद महिला कल्याण अपने स्तर से जांच कर रही है। उधर प्रधानमंत्री को भेजी गई एक शिकायत के मामले को दबाने का भी आरोप लगाया गया है। इस बारे में मोबाइल फोन के जरिए हुई वार्ता में तत्कालीन जिला प्रोबेशन अधिकारी अमरेंद्र  ने इन आरोपों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि, जिस लिपिक ने शिकायत की थी वह काम नहीं कर रहा था, उसकी जगह दूसरे लिपिक से काम करवाया गया है। इसी रंजिश को देखते हुए उसने गलत तथ्यों पर शिकायत की है, जांच टीम ने भी उन्हें पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। अब निदेशक महिला कल्याण द्वारा यहां तथ्यों की सच्चाई जांची जा रही है, वहां से सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इस संबंध में मौजूदा जिला प्रोबेशन अधिकारी पुनीत टंडन से भी वार्तालाप किया गई और उनके फोन पर कॉल किया गया था, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया और मैसेज का भी जवाब नहीं दिया।