UP ELECTIONS 2022: सोनभद्र के इन 11 गांव में होगा आखिरी बार चुनाव, जाने क्या है खास वजह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से 200 किलोमीटर दूर झारखंड और छत्तीसगढ़ से सटी सीमा सोनभद्र जिले(Sonbhadra Election News) के 11 गांव में विधानसभा चुनाव आखरी बार होगा।

सोनभद्र के इन 11 गांव में होगा आखरी बार चुनाव।
सोनभद्र, Digital Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(NARENDRA MODI NEWS) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से 200 किलोमीटर दूर सोनभद्र जिले के 11 गांव में विधानसभा चुनाव(UP ELECTIONS) आखरी बार होगा। इस गांव के लोग इस बार के लोकसभा चुनाव को लेकर बिल्कुल खामोश हैं। उनका यह आरोप है कि किसी भी राजनीतिक पार्टी के नेताओं ने उनकी मदद नहीं की। उत्तर प्रदेश में इस बार 11 गांव की वोटर अपने गांव में आखरी बार मतदान करेंगे। क्योंकि असल कारण से यह है कि, अगले चुनाव तक यह गांव बचेगा ही नहीं। यह सारे गांव सोनभद्र जिले के दुद्धी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, जो कनहर सिंचाई परियोजना की वजह से डूबे क्षेत्र में आ जाएंगे। जिसके बाद इस गांव के लोगों को अपना विस्थापित होने का इंतजार करना पड़ रहा है। दरअसल साल के अंत तक बांध निर्माण कार्य पूरा किए जाने के समय तक निहित हुआ है। इन 11 गांव के लोगों ने मन बना लिया कि, वे अपने गांव में इस बार आखरी बार वोट डालेंगे।
गाँव के लोगों की इच्छा:
उत्तरप्रदेश के दुद्धी विधानसभा 403 क्षेत्र के 11 गांव में लगभग 50000 लोग रहते हैं। जिसमें 25000 वोटर हैं, करीब 2500 परिवार यहां से विस्थापित होंगे। गांव वाले 2 गुना मुआवजा और हर विस्थापित होने वाले परिवार से कम से कम एक सदस्य को रोजगार, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर और वह काल्पनिक खेती लायक जमीन की मांग है। जहां तक कनहर बांध परियोजना का सवाल है, तो इसमें को चालू होने से उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ और झारखंड के कई हिस्सों को लाभ मिलने वाला है। जब इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी। तो इस पर लगभग ₹27 करोड़ से भी ज्यादा की लागत का अनुमान था। जो अब बढ़कर ₹2000 करोड़ हो गया है। खास बात यह है कि इसके चलते 35000 हेक्टेयर में सिंचाई का पानी पहुंचेगा और 108 गांव को फायदा होगा। लेकिन इसकी वजह से लगभग 2500 परिवारों को विस्थापित होना पड़ेगा।
गांव(sonbhadra village) के लोगों का कहना है कि सरकार की नीति और क्षेत्र के विकास के लिए यहां पर सिंचाई परियोजना का निर्माण किया जा रहा है। जिसकी वजह से हमें विस्थापित होना पड़ रहा है। हमारे बाप दादा यहां पर रहकर चले गए और यहां पर उनके द्वारा बनाए गए मकानों को हमें छोड़ कर जाना होगा। इसके साथ सरकार द्वारा मुआवजा दिया जा रहा है, उस वजह से हमें संतुष्टि नहीं है। क्योंकि इससे हम खेत जमीन एवं मकान नहीं बना पा रहे हैं, हमें केवल प्रधानमंत्री आवास और घर बनाने के लिए प्लॉट के साथ मुआवजा दिया जा रहा है।
जब सिंचाई का निर्माण कार्य शुरू होगा तो यह 11 गांव डूब जाएंगे ऐसे में 7 मार्च को आखिरी बार यह अपने पुश्तैनी घरों से मतदान करने के लिए निकलेंगे, इसके बाद इन्हें पलायन करके कहीं और जाना होगा।