वाराणसी के इस Youtuber की प्रेरणादाई कहानी, शरीर की 100 हड्डियां टूटने के बाद भी नहीं टूटा हौंसला
वाराणसी(Varanasi News) के आस्था की कहानी जो शरीर से असहाय थी, लेकिन उसने अपने हौसलें को टूटना नहीं दिया और बिस्तर से ही Graphic Designing की पढ़ाई पूरी की।

Varanasi, Digital Desk: शारीरिक हालत(Physical Defect)कभी-कभी इतनी कठिन हो सकती है कि, उससे उबर पाना सामान्य इंसान के बराबर एवं बस में नहीं होता। ऐसे में जिंदगी बहुत ही मुश्किल हो जाती है और आपको दर्द भरे संघर्ष से गुजरना पड़ता है। आप खुद एक बार को सोचिए कि, अगर आप शारीरिक रूप से असहाय हैं, जीवन भर बिस्तर पर ही आपको अपनी जिंदगी काटनी है। आप अन्य लोगों को चलते-फिरते देखते हैं, लेकिन आप खुद चल-फिर नहीं पाते। आज हम आपको ऐसे ही लड़की की कहानी सुनाना चाहते(Varanasi) हैं, जो शारीरिक रूप से आशा है लेकिन उसने एक मिसाल कायम(Motivational Story) की है। उससे कुछ सीखने को ही मिलेगा आइए जानते है उसकी कहानी।
आस्था का आत्मबल:
34 वर्षीय दिव्यांग आस्था(Aastha from Varanasi)एक ऐसी बीमारी से परेशान है। जो लाखों करोड़ों लोगों में से किसी एक को होती है। उसके शरीर की हड्डियां 100 जगह से टूटी हुई है। शरीर में अब तक 12 ऑपरेशन हो चुके हैं और रॉड भी लगाई गई है। 20 वर्ष उम्र से भी ज्यादा समय से आस्था बेड से उठ नहीं पाई। वह इतनी कमजोर हो गई है कि, उठने बैठने में उसकी पसलियां भी टूट सकती हैं, इसलिए हमेशा लेटे रहती है। इतनी कठिन हालात जिंदगी में बेहद मुश्किल दौर से उसे गुजरना पड़ रहा है। लेकिन हताश होने के बजाय उसने अपने जीवन में सकारात्मकता रखी और ईश्वर के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और संघर्ष किया, जो सबके लिए एक प्रेरणास्रोत की मिसाल है।
हौसले रखते हुए दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से अपनी पढ़ाई पूरी की। कंप्यूटर में इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल की और आज एक ग्राफिक डिजाइनर के रूप में काम करती है। जी हां आपने सही सुना, उसने अपना यूट्यूब चैनल भी खोला है, बिस्तर पर ही लेट कर आस्था यह वह सारे काम कर लेती है, जो एक चलने चलने वाला व्यक्ति नहीं कर पाता। आस्था के जीवन में नेता दिव्यांग डॉक्टर उत्तम ओझा बताते हैं कि, आस्था बेड पर लेटे लेटे ही अपने माउस से कंप्यूटर पर काम करती है, इस दौरान उसकी उंगलियां अपनी जादूगरी दिखाना शुरू कर देते हैं। डॉक्टर ने बताया कि आस्थान एक गली में घूमने वाले लावारिस पशुओं के लिए एक संस्था भी बनाई है। इस संस्था के माध्यम से जीव संरक्षण का काम किया जाता है। आस्था की हिम्मत और हौसले को देखकर, मैं तो अचंभित हो गया हूं। किसी भी प्रकार की कहीं से कोई भी सहयोग सहायता न मिलने के बावजूद उसके अंदर एक गजब का आत्मबल, मैंने कहीं किसी दिव्यांग व्यक्ति के अंदर ऐसा आत्मबल नहीं देखा। उन लोगों को आस्था से सहयोग लेकर कुछ सीखना चाहिए, ताकि वह जीवन में आगे बढ़ सके।
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