पिछली बार Bhadohi विधानसभा सीट पर SP और BJP की हुई थी कड़ी टक्कर, इस बार आसान नहीं होगा दोनों के लिए जीत का सफर
Uttar Pradesh में चुनाव का बिगुल बज चुका है एवं हर पार्टी इस चुनाव को जीतने के लिए अपने अथक प्रयास करने हेतु जुट गई है। ऐसा ही कुछ माहौल Bhadohi की सियासी खेल में देखने को मिलेगा।

आसान नहीं होगी Bhadohi की चुनावी टक्कर।
Bhadohi, Digital Desk: Uttar Pradesh के Bhadohi जिले का अब नया नाम संत रविदास नगर(Sant Ravidas Nagar) कर दिया गया है. यह शहर Varanasi और Prayagraj के बीच में बसा हुआ है और इसकी पहचान पूरे एशिया में कालीन के वजह से है. भदोही में कालीन का बहुत बड़ा व्यापार होता है।
Bhadohi जिले का मुख्य व्यवसाय कालीन है, छोटे से बड़ा businessman कालीन के धंधे में जुड़ा हुआ है। कालीन उद्योग का इतिहास यहां लगभग 5000 वर्षों से भी पुराना है। हालांकि कारीगरों के लिए किसी भी सरकार ने आज तक कोई भी नया कार्य नहीं किया, राजनीतिक पार्टियों ने भदोही का नाम बदल दिया, लेकिन भदोही जिले की हालत एवं दशा अभी भी वही है, जिसमें कोई सुधार नहीं आया है। यहां के कुशल कारीगरों की बदौलत केवल इस क्षेत्र से ही हजारों करोड़ का धंधा होता है।
भदोही विधानसभा(Bhadohi Assembly) के इतिहास की बात करें तो पहले यह वाराणसी जिले के अंतर्गत आता था, लेकिन 1994 में ही भदोही जिले का गठन हुआ। विधानसभा चुनाव में भी के सभी दलों को जीत मिली है। वर्तमान में BJP के रविंद्र नाथ त्रिपाठी यहां से विधायक है। जिन्होंने 2017 के चुनाव में SP के जाहिद बेग को लगभग 1100 वोटों के अंतर से हराया था। इस चुनाव में भाजपा ने जहां लगभग 79 हज़ार वोट हासिल किए थे, तो वहीं सपा के विधायक ने 78 हज़ार वोट।
अगर इसके पहले के चुनाव के बाद की जाए तो 2012 के विधानसभा चुनाव में यह सीट पर जाहिद बेग ही विधायक चुने गए थे। 2002 में काशीराम के खास दीनानाथ भास्कर(SP) ने चुनाव लड़कर, से यहां विधायक बने थे।
जातियां आंकड़ों की बात की जाए तो यहां लगभग 80000 ब्राम्हण, 65000 मुसलमान, 25000 राजपूत, 40000 यादव, 35000 वैश्य, 25000 मौर्य, 60000 दलित एवं अन्य 85000 मतदाताओं में विश्वकर्मा, पटेल बिंद, कायस्थ, कुम्हार एवं पाल आते हैं।
कुल मतदाताओं की संख्या 380739 (VOTERS) है।