Sonbhadra: जंगल में घूम रहे तेंदुए को वन विभाग अधिकारियों ने पकड़ा, इलाज़ के लिए BHU रेफेर
सोनभद्र के लोगों ने पिछले हफ्ते एक तेंदुए को देखा था, जिसकी वजह से सोनभद्र इलाके में तेंदुए के नाम पर दहशत मची हुई थी।

10 घंटे के बाद पकड़ा गया तेंदुआ।
सोनभद्र, Digital Desk: सोनभद्र के घोरावल थाना क्षेत्र के घुवास गांव में वहां के निवासियों ने लगभग 1 हफ्ते पहले एक तेंदुए को देखा था। जिसके बाद पूरे गांव में तेंदुए को लेकर भय का माहौल हो गया था। लोगों ने घर से निकलना बंद कर दिया था एवं वह बहुत जरूरी काम होने पर ही घर से बाहर निकल रहे थे। वन विभाग अधिकारी की टीम कई दिनों से तेंदुए को ट्रैप करने की कोशिश कर रही थी और अंततः रविवार को देर रात कड़ी मेहनत करने के बाद तेंदुए को पकड़ लिया गया।
10 घंटे के बाद मिला तेंदुआ:
वन विभाग एवं पुलिस विभाग द्वारा रविवार देर रात से ही सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया, यह सर्च ऑपरेशन लगभग 10 घंटे तक चला। अधिकारियों के मुताबिक इस गांव से लगभग 3 किलोमीटर दूर बसनिया के जंगलों में तेंदुआ इन्हें महुआ के पेड़ के नीचे मिला। वन विभाग की टीम ने उसे पकड़ा और घोरावल वन रेंज कार्यालय ले गए।
डीएफओ मिर्ज़ापुर आशुतोष जायसवाल एवं वन्य जीव प्रतिपालक राकेश कुमार भी घोरावल वन रेंज कार्यालय पहुंचे और तेंदुए के बारे में जानकारी प्राप्त की। पिछले 15 दिनों से यह तेंदुआ घुवास गांव के आसपास भटक रहा था। पहले तो लोगों ने इसे एक अफ़वाह समझा, लेकिन शनिवार को कई ग्रामीणों ने तेंदुए को देखा था, जिसके बाद गांव में डर का माहौल था।
तेंदुए को देखकर गाँव में हड़कंप:
गांव की निवासी दिनेश यादव और उसका चचेरा भाई मनोज ने खेत जाते समय सपनिया गांव के एक पेड़ के नीचे उन्होंने तेंदुए को देखा था। इसके बाद उसका वीडियो और तस्वीर खींचकर उन्होंने वायरल कर दिया। तस्वीर देखकर वन अधिकारी हरकत में आए और एक टीम गठित की, जिसके बाद पुलिस के सहयोग से रविवार शाम 5:00 बजे से तेंदूए को पकड़ने का सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया था, जिसे सोमवार की सुबह तक पकड़ लिया गया।
तेंदुए की हालात गंभीर:
तेंदुए की हालत गंभीर बताई जा रही है बताया जाता है कि, तेंदुआ पिछले 15 दिनों से बीमार चल रहा था, जिसके कारण उसने किसी पर भी हमला नहीं किया। तेंदुए की आंखों में भी परेशानी दिखाई दे रही है। वन क्षेत्राधिकारी सूरज प्रसाद ने बताया कि उच्च अधिकारियों के निर्देश के बाद तेंदुए को जंगल में छोड़ दिया जाएगा, लेकिन उससे पहले उसके इलाज के लिए उसे BHU भेजा जाएगा, अगर बीएचयू में बात नहीं बनी तो फिर कानपुर के चिड़ियाघर में उसे भेजा जाएगा और उसका इलाज करवाया जाएगा।