विश्व महिला समानता दिवस, जाने इस दिवस के पूरे इतिहास के बारे में

न्यूजीलैंड ने मनाया था पहली बार वर्ल्ड विमेन इक्वलिटी डे।
 
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Mumbai, Digital Desk: बचपन से हमें यह बात बताई गई है कि, एक मर्द की कामयाबी के पीछे हमेशा एक महिला का हाथ होता है। उस महिला का सहयोग किस्मत और प्यार ही उस आदमी की किस्मत को तय करता है। आज विमेंस इक्वलिटी डे है, और यह दिन महिलाओं और पुरुष दोनों को बराबर का अधिकार देने की गुहार करता है।


26 अगस्त:

न्यूजीलैंड इस विश्व का पहला देश है। जिसने 1893 में महिलाओं के समानता की बात की और इसकी शुरुआत भी की। अमेरिका में भी सन 1920 में 19 वें संविधान संशोधन में महिलाओं के सम्मान की बात की गई और उन्हें समानता का अधिकार मिला। 1971 से पूरे विश्व भर में महिलाओं के सम्मान एवं समानता के दिवस को मनाया जाने लगा।


भारत :

भारत में आजादी के बाद से ही महिलाओं को पुरुष के बराबर मतदान का अधिकार मिला। लेकिन अगर हम सत्यता की बात करें, तो आज भी महिलाओं की स्थिति भारत में चिंताजनक है। आज भी छोटे शहरों में महिलाओं को न तो बोलने का अधिकार है, नाही कोई निर्णय लेने का अधिकार है। दक्षिण अफ्रीका, नेपाल, बांग्लादेश एवं श्रीलंका भारत से भले ही प्रगति और विकास के मामले में पीछे है, लेकिन स्त्रियों और पुरुष के बीच समानता को लेकर इनकी स्थिति भारत से बेहतर है।

स्वतंत्रता के 7 दशक बाद भी महिलाओं को रात में निकलने से डर लगता है और मायके या ससुराल वालों के पक्ष के अनुसार ही अपना जीवन जीना पड़ता है।

महिलाओं का दम:

पर महिलाओं का साहस पुरुषों से हमेशा ही ज्यादा रहा है। चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो डॉक्टरी हो, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सरकारी क्षेत्र हो। आज महिलाएं कदम से कदम मिलाकर पुरुष के साथ चल रही हैं, देश का नाम और ऊंचा कर रही हैं।