वाराणसी के 6 लोगों को मिला पदम पुरस्कार, मिर्ज़ापुर की अजीता श्रीवास्तव भी शामिल, जानिए इनके जीवन की कहानी

गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत सरकार की ओर से कई लोगों को पद्म पुरस्कार मिला। ऐसे में बनारस के कुछ लोगों को भी पुरस्कार मिला।

 
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बनारस से 6 लोगों को पुरस्कार, मिर्ज़ापुर से अजिता श्रीवास्तव को पुरस्कार।


उत्तर प्रदेश, Digital Desk: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार की ओर से कई लोगों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसमें वाराणसी के 6 लोगों का नाम चयनित किया गया। गोरखपुर के गीता प्रेस के अध्यक्ष एवं सनातन धर्म की प्रसिद्ध पत्रिका के संपादक राधेश्याम खेमका को भी मरणोपरांत इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वही मिर्ज़ापुर की कजली गायिका अजिता श्रीवास्तव को भी इस सम्मान से नवाजा गया।

राधेश्याम खेमखा:

स्वर्गीय राधेश्याम खेमका को मरणोपरांत पद्म भूषण(padam award) सम्मान दिया गया। उनका जन्म वैसे बिहार में हुआ था, लेकिन वह अपने परिवार के साथ बनारस में रहने लगे। BHU से संस्कृत साहित्य रत्न की उपाधि और लगभग 40 वर्षों तक गोरखपुर गीता प्रेस से जुड़े रहे। 8 वर्षों तक मुख्य संपादक के तौर पर रहे और पिछले साल ही काशी के केदार घाट पर उन्होंने अंतिम सांस ली।

पंडित शिवनाथ मिश्रा:

वैश्विक स्तर पर अपनी खास पहचान बनाने वाले काशी के खाते में इस बार कई अवार्ड आए। इनमें से एक नाम पंडित शिवनाथ मिश्रा का है, जो पंडित रविशंकर के बाद काशी में सितार विद्या को जिंदा रखे हुए हैं। 12 वर्षों की उम्र में ही उन्होंने सितारा विद्या को अपनी जीवनी मान लिया और बनारस के संपूर्णानंद से ग्रेजुएशन करने के बाद, उन्होंने प्रयाग संगीत प्रवीण किया। पंडित शिवनाथ जी को विदेशों में भी पुरस्कार मिला और अब उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

योग गुरु बाबा शिवनंद स्वामी:

योग गुरु बाबा शिवानंद स्वामी(baba shivanand swami) को भी पदम श्री पुरस्कार दिया गया। 4 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने योग शिक्षा शुरू कर दी थी और लगातार 125 सालों से योग साधना करते हुए आ रहे हैं। दुर्गा कुंड में रहने वाले बाबा शिवानंद अभिनेत्री योगासन करते हैं। बाबा के जीवन एक अनुशासन की मिसाल है। उनका जीवन भोर में 3:00 बजे से शुरू हो जाता है और वह सुबह 5:00 बजे तक शिव मंत्र का जाप करने के बाद 5:00 बजे से योगासन शुरू कर देते हैं। वह सिर्फ उबला हुआ खाना खाते हैं और गरीबों की हमेशा मदद करते हैं।

प्रोफेसर कमलाकर त्रिपाठी:

प्रोफ़ेसर त्रिपाठी नेफ्रोलॉजिस्ट के जाने-माने प्रोफेसर माने जाते हैं और उन्हें पदम श्री अवार्ड से नवाजा गया। 2016 में बीएचयू से रिटायर होने के बाद में अभी अपने मरीजों की देखभाल घर पर करते हैं। प्रोफेसर कमलाकर की प्रारंभिक शिक्षा पैतृक गांव में ही हुई थी। गोरखपुर से पढ़ाई करने के बाद बनारस आ गए। फिलहाल उनके नाम पर 100 से अधिक शुगर मरीज देखने का रिकॉर्ड है, उनके नाम पर गिनेस बुक में भी एक रिकॉर्ड दर्ज है।

पंडित वशिष्ट त्रिपाठी:

पंडित वशिष्ट त्रिपाठी पदम भूषण पुरस्कार से सम्मानित किए गए। देवरिया में जन्मे पंडित वशिष्ट ने गांव में पाठशाला में शिक्षा ली, उसके बाद संस्कृत के शिखर तक का सफर तय किया। 20 वर्ष की उम्र से ही ग्रंथों में अध्ययन करना शुरू कर दिया। वे आज भी प्रतिदिन 16 घंटे तक शास्त्र चर्चा एवं अध्यापन का कार्य करते हैं। 2016 में राष्ट्रपति पुरस्कार के साथ ही उन्हें संस्कृत साधना के क्षेत्र में 2 दर्जन से भी ज्यादा अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

अजिता श्रीवास्तव:

वाराणसी के डीएलडब्लू में पैदा हुई और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से M.A. और B.Ed की पढ़ाई पूरी करने के बाद अजीता श्रीवास्तव का विवाह मिर्ज़ापुर के फरहदा गांव में स्वर्गीय रास बिहारी लाल के संग हुआ। इसके बाद उन्होंने मिर्ज़ापुर नगर को ही अपनी कर्मभूमि बनाई। स्वामी दयानंद सरस्वती मार्ग वासलीगंज में स्थित आर्य कन्या पाठशाला में शिक्षक की नौकरी हासिल की।

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उस वक्त 70 के दशक का दौर था, 1977 से अजीता(ajita srivastava) ने शिक्षक के साथ कजली गायिका में अपने हाथ आज़माये। काशी के दिग्गज संगीत पंडित महादेव मिश्र को अपना गुरु मानने वाली अजीता जी ने अपने प्रिय विद्या मिर्ज़ापुर कजली को अपने गायन की अलहदा शैली एवं मधुरता से नए मुकाम पर पहुंचा दिया। गाने से जोड़ने का श्रेय अपने पिता को देते हुए उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे आकाशवाणी, दूरदर्शन, पर्यटन, विभाग, आईसीसीआर, सूचना विभाग से जुड़ कर खुद के साथ जनपद को पहचान दिलाने में कार्यरत रही।